जाना और ’लौटना’ सामान्य क्रियाएं नहीं हैं. ये जिस भाव भूमि और विचार भूमि से उत्पन्न होती हैं, उन्हें समझे बगैर इनके अर्थ-मर्म की पहचान कुछ कठिन है. ‘जाना’ क्रिया में जहां आशा, उत्साह और उम्मीद है, वहीं ‘लौटना’ में थकान, हताशा और निराशा है. अज्ञेय ने लिखा है, ’घर’ लौटने के लिए होता है. […]
Read Moreकोरोना वायरस शरीर की श्वसन प्रणाली पर हमला करता है. कोरोना के शिकार कम से कम 20 फीसदी मामलों में देखा गया है कि वायरस फेफड़ों के इतनी अंदर बैठा होता है कि मरीज के लिए सांस लेना ही मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जल्द से जल्द वेंटिलेटर लगाने की जरूरत पड़ती है. समस्या […]
Read More‘कोरोना और सभ्यता का संकट’ विषय पर अपनी वार्ता की पहली किस्त में हमने सामान्य रूप में मानव समाज के सामने पैदा हुए अस्तित्व के संकट के चंद विचारधारात्मक आयामों पर चर्चा की थी । इससे भविष्य का कौन सा नया रास्ता निकल सकता है, उसकी संभावनाओं की भी बात की थी । इस वैश्विक […]
Read More