किसी भी देश का संविधान, नागरिकों और राज्य के बीच एक पवित्र बंधन है। इसके साथ ही वह एक संविदा भी है। संविधान की संकल्पना हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा दिए गए “सामाजिक संविदा” के सिद्धांत के आधार पर मूर्त रूप ले पाई। उनके अनुसार, राज्य की उत्पत्ति इसलिए हुई कि जो प्राकृतिक व्यवस्था थी, […]
Read Moreअसहिष्णुता जैसी थी, वैसी ही है। अपनी बात कहने और दूसरों की बात अनसुनी कर देने की आदत बनी हुई है। अपने को देशभक्त और आलोचक को देशद्रोही ठहराने की प्रक्रिया ज्यों की त्यों है। प्रदर्शनकारियों से ‘बदला’ लेने की घोषणा अब भी गूंज रही है। विरोध करने वालों को आतंकित करने का रवैया नए […]
Read Moreजिस किसी ने भी सोचा था कि बर्लिन की दीवार और सलाखों के पहरे हटाने से सीमाएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी, वह गलत साबित हुआ है. दीवार गिरने के 30 साल बाद, आज हमें उसका उल्टा दिखाया जा रहा है और सीमा की दीवारें वापसी कर रही हैं. सिर्फ अमेरिका-मेक्सिको की सीमा पर ही […]
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