हिंदी साहित्य की प्रगतिशील परम्परा का सबसे चमकदार सितारा अंततः अस्त हो गया। लगभग एक दशक पहले सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रियंवद को दिए एक साक्षात्कार में तब 80 पार के नामवर ने कहा था , मैं अपने पिता की तरह अकेला हो गया हूं । हालांकि वे तब काफी सक्रिय थे और लगातार देश भर में […]
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