कृषि मंत्रालय ने सोमवार को किसानों को भेजे संदेश में कहा है कि 30 दिसंबर को दिन में 2 बजे बातचीत का वक़्त मुकर्रर किया गया है। यह बैठक विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले कई दौर की बातचीत बेनतीजा साबित हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि सरकार कृषि क़ानूनों को तुरंत रद्द करे।
विदित हो कि कृषि मंत्रालय की ओर से 24 दिसंबर को किसानों को पत्र भेजा गया था और आंदोलनकारी किसानों से अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख़ और वक़्त तय करने का अनुरोध किया गया था। किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 25 दिसंबर को इसका जवाब देते हुए अगले दौर की बातचीत के लिए 29 दिसंबर को 11 बजे का वक़्त सुझाया था और पत्र भी भेजा था।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस बैठक में तीनों कृषि क़ानूनों और एमएसपी की ख़रीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
किसानों के आंदोलन से परेशान बीजेपी और मोदी सरकार अब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकाल पाए हैं। कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि किसानों ने अपने आंदोलन को पूरी तरह ग़ैर राजनीतिक रखा है लेकिन मोदी सरकार से लड़ने में ख़ुद को अक्षम पा रहे विपक्ष को किसान आंदोलन से ऊर्जा मिली है और वह खुलकर किसानों के समर्थन में आगे आया है।
एजेंसियां