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‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ किताब विवाद: ‘प्रकाशक की एक सामाजिक जिम्मेदारी भी होती है’

अजय कुमार प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने दिल्ली दंगों पर एक पुस्तक ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को विवाद के बाद प्रकाशित करने से मना कर दिया है। इसके बाद यह बहस छिड़ गयी कि अभिव्यक्ति की आजादी वाले देश में कुछ विरोधों के बाद किसी किताब के प्रकाशन को रोकना उचित है या अनुचित?…

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तबलीगी जमातः निराशा के माहौल में उम्मीद की किरण है बॉम्बे हाई कोर्ट का फ़ैसला

अनिल जैन जब-जब भी न्यायपालिका को लेकर लोगों का भरोसा डिगने लगता है और वे हताश-निराश होने लगते हैं, तब-तब न्यायपालिका के किसी न किसी हिस्से से ऐसी कोई आवाज आ जाती है, जो आश्वस्त करती है कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। कोरोना महामारी की आड़ में एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने…

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वरवरा राव जैसी शख़्सियत का बनना: भाग एक

एन॰ वेणुओगोपाल राव( अनुवाद) महेश कुमार वरवरा राव (जिन्हें हिंदी-अंग्रेज़ी में वरवर और वरावरा भी लिखा जा रहा है), जैसे विद्वान साहित्यकार के रूप में उनका जीवन बहुत कम उम्र में शुरू हो गया था। शुरू में, वे मेरे लिए सिर्फ एक मामा थे जो मेरे साथ खेलते थे; मेरी माँ के सबसे छोटे भाई बस वही और कुछ नहीं। हालाँकि, तब से…

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डॉ. आंबेडकर : पुलिस, जासूस, और अखबारों की नजर से

पुस्तक-समीक्षा  –  अनिरुद्ध कुमार मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही सरकारी आदेशों, परिपत्रों, पुलिस और जासूसी संस्थाओं की रिर्पोटों की इतिहास लेखन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इतिहास लेखन या उनके पुनर्लेखन में इन हजारों वर्षों से ये स्रोत ऐतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं। कई बार इन स्रोतों के आधार पर इतिहास की पुनर्व्याख्या…

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हैरी पॉटर की लोकप्रियता से बढ़ा पौराणिक गल्प: देवदत्त पटनायक

अंग्रेजी में पौराणिक पात्रों के इर्द-गिर्द कथा बुनकर कई किताबों और फिल्मों में अपनी आमद-रफ्त से मशहूर हुए देवदत्त पटनायक से आकांक्षा पारे काशिव की बातचीत के अंशः हिंदी में पौराणिक चरित्रों पर बढ़ते लेखन और अचानक इन चरित्रों को लेकर दिलचस्पी का आप क्या कारण मानते हैं? मुझे लगता है कि इसकी शुरुआत हैरी…

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कश्मीरः यह किसका लहू है, कौन मरा?

अजय कुमार कश्मीर से अब कोई ख़बर नहीं आती। कश्मीर की जनता के दुख-दर्द, यातना व संघर्ष की ख़बर नहीं आती। ख़बर अगर आती भी है, तो ख़ून से सनी लाशों की। कश्मीर से अब कोई ख़बर नहीं आती। कश्मीर की जनता के दुख-दर्द, यातना व संघर्ष की ख़बर नहीं आती। ख़बर अगर आती भी…

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कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की छंटनी पर रतन टाटा ने नैतिकता पर उठाए सवाल

टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा ने कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से  पूछा है कि उनका इस मुश्किल समय में क्या कर्तव्य बनता है और उनके लिए नैतिकता की क्या परिभाषा है। टाटा ने कहा कि जिन्होंने आपके लिए काम किया, आपने उन्हें ही छोड़ दिया। इस संदर्भ में रतन टाटा ने कहा कि ये…

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अयोध्या में दोबारा भूमिपूजन? यह राजीव सरकार के समय हो चुका है मोदी जी! – पुष्परंजन

तारीख 9 नवंबर 1989, इस दिन अयोध्या में राममंदिर के वास्ते भूमिपूजन और शिलान्यास दोनों हुआ था. भूमि पूजन के बाद ही किसी मकान की नींव रखी जाती है. वो तो हो चुका है मान्यवर. फिर धार्मिक अनुष्ठान और हिन्दू रीति रिवाज से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी? क्रेडिट लेने की बीमारी से…

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नरेंद्र मोदी और अमित शाह को क्लीनचिट ना देने वाले अशोक लवासा को एडीबी का ऑफर

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने  भारत के निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा को निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के क्षेत्र से जुड़े कामकाज के लिए अपना उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. लवासा एडीबी में दिवाकर गुप्ता का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त होने जा रहा है.हालांकि अशोक लवासा की तरफ़ से इस नई नियुक्ति…

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आज़ादी के बाद के भारत की राजनीतिक यात्रा पर आएंगी प्रियंवद की दो नई किताबें

वरिष्ठ कथाकार और अकार के संपादक प्रियंवद की दो विशेष किताबें आएंगी ।पुस्तक का नाम ‘भारतीय लोकतंत्र का कोरस: कुछ बिसरी बिखरी ध्वनियां’ होगा और यह वर्ष 2021 में प्रकाशित होगी. इस पुस्तक के दो खंड होंगे. पहला खंड 26 जनवरी, 1950 से लेकर 12 जून, 1975 तक की घटनाओं को समेटेगा और दूसरा खंड 12 जून, 1975 से लेकर 14 जनवरी, 1980 की तक घटनाओं को जगह देगा. पेंगुइन रैंडम…

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