सरकारी संपत्ति निजी क्षेत्र के हवाले कर 2.5 लाख करोड़ उगाहने का लक्ष्य

‘यह देश नहीं बिकने दूंगा’ का नारा देकर सत्ता में आए नरेंद्र मोदी की सरकार के आठ मंत्रालयों ने उन संपत्तियों की सूची बनाई है, जिन्हें बेच दिया जाएगा या दूसरे तरीकों से निजी क्षेत्र को देकर पैसा कमाया जाएगा। इस ज़रिए 2.5 लाख करोड़ रुपए उगाहे जाएंगे। इसमें सड़कें, बिजली ट्रांसमिशन, ऑयल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार के टॉवर, स्टेडियम और दूसरी चीजें शामिल हैं। इसमें रेलवे स्टेशन, ट्रेन और हवाई अड्ड् भी शामिल हैं। 

मनीटाइजेशन की इस योजना के तहत रेलवे 90 हज़ार करोड़ रुपए उगाहेगा। इसके लिए वह 150 रेलगाड़ियों के परिचलान निजी कंपनियों को सौंप देगा। इसके अलवावा 50 रेलवे स्टेशन बनाने और चलाने का काम निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा। 

40 हज़ार करोड़ उगाहेगा दूरसंचार मंत्रालय

दूरसंचार मंत्रालय निजीकरण के ज़रिए 40 हज़ार करोड़ रुपए की व्यवस्था करेगा। वह एमटीएनल और बीएसएनल की जायदाद बेचेगा। ऑप्टिक फ़ाइबर भारतनेट और टेलीकॉम टॉवर को इस्तेमाल के लिए निजी कंपनियों के हवाले कर दिया जाएगा। इसके अलावा बीएसएनएल के पास जो ज़मीन है, वह उसे निजी क्षेत्र को लीज़ पर देगा। मनीटाइजेशन के लिए बने कोर ग्रुप ने इस पर चिंता जताई है कि इस मंत्रालय का कामकाज सुस्त है। 

7,200 किलोमीटर सड़क

सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने 7,200 किलोमीटर सड़क की पहचान की है, जिन्हें निजी क्षेत्र को दे दिया जाएगा। इसके तहत निजी कंपनियाँ एक निश्चित रकम देकर वह सड़क ले लेगी और उस पर टोल टैक्स लगा कर पैसे कमाएगी। सरकार का लक्ष्य 30 हज़ार करोड़ रुपए उगाहने का है। 

पावरग्रिड कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड अपनी जायदाद का निजीकरण कर 27 हज़ार करोड़ का इंतजाम करेगा। 

लीज़ पर मिलेंगे स्टेडियम

युवा व क्रीड़ा मंत्रालय अपने स्टेडियम को निजी हाथों में दे देगा। इन स्टेडियम को लीज पर देकर पैसा कमाया जाएगा। सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को निजी क्षेत्र के हवाले किया जाएगा। इसके लिए सलाहकार नियुक्त करने को कहा जा रहा है। स्टेडियम का रखरखाव निजी कंपनी करेगी और वही उससे पैसे भी कमाएगी। मंत्रालय का लक्ष्य 20 हज़ार करोड़ रुपए उगाहने का है। 

नागरिक विमानन मंत्रालय हवाई अड्डों में अपनी हिस्सेदारी बेच देगा। इसके लिए पहले चरण में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू और हैदराबाद हवाई अड्डों को चुना गया है। वैसे भी इन हवाई अड्डों की बड़ी हिस्सेदारी निजी कंपनियों के पास ही है, सरकार अपनी बची खुची हिस्सेदारी भी बेच कर इन्हें पूरी तरह निजी क्षेत्र को दे देना चाहती है। इसके अलावा एअरपोर्ट अथॉरिटी 13 हवाई अड्डों को ऑपरेट, मैनेजमेंट, डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत निजी कंपनियों को दे देगी। इसके जरिए 20 हज़ार करोड रुपए उगाहे जाएंगे। 

निजी कंपनियों के हवाले पाइपलाइन

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 17 हज़ार करोड़ रुपए बाज़ार से उगाहने का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत इंडिन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और गैस अथॉरिटी अपने अपने पाइपलाइन बेचेंगें। 

शिपिंग, पोर्ट व वॉटरवेज़ मंत्रालय अपनी जायदाद निजी क्षेत्र की कंपनियों को देकर 40 हज़ार करोड़ रुपए का इंतजाम करेगा। इसके तहत वह बंदरगाहों के 30 बर्थ लीज़ पर निजी क्षेत्र को दे देगा।

दरअसल इस पूरी परियोजना की शुरुआत इस साल के बजट से ही हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में ऐलान किया कि तमाम मंत्रालय अपनी परिसंपत्तियों का मनीटाइजेशन करेंगे। मनीटाइजेशन के तहत सरकारी संपत्तियों को या तो बेच दिया जाता है उन्हें लीज़ पर या दूसरे तरह से इस्तेमाल करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के हवाले कर दिया जाता है। 

सौज-सत्य ब्यूरो

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