हे विदूषक तुम मेरे प्रियः चौथी कड़ी- लेखक कर्मी पद पर नियुक्ति- प्रभाकर चौबे

सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें । हम पाठकों के लिए उनके व्यंग्य उपन्यास  हे विदूषक तुम मेरे प्रिय’को धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं । विदित हो कि‘भिलाई इप्टा’द्वारा इस व्यंग्य उपन्यास का नाट्य रूपांतर का काफी मंचन किया गया है । आज प्रस्तुत है चौथी कड़ी – लेखक कर्मी पद पर नियुक्ति

4 लेखक कर्मी पद पर  नियुक्ति

महाराज ने विदूषक को अपने कक्ष में बुलाया, बोले- कहिए राजविदूषक जी शासकीय ज्ञान मंडल का कार्य कैसा चल रहा है।

विदूषक ने कहा-  एकदम योजनानुसार महाराज। ज्ञान मंडल ने राज्य के लिए कुछ लेखकों का पद सृजित कर उन परनियुक्ति का निर्णय लिया है।

महाराज बोले-  हे विदूषक, ये क्या कह रहे हो तुम। शासन अब लेखक नियुक्ति करेगा? दरबार में कुछ लेखक हैं। उन्हें दरबारी लेखक की पोस्ट दी गई है। फिर और लेखकों कीनियुक्ति क्यों?

व्रिररादूषक ने कहा-  महाराज, दरबारी लेखक हैं जरूर, लेकिन उन पर काम का बोझ ज्यादा है। उन्हें गीत, आदि लिखने का काम दिया गया है। इसलिए अन्य बातों पर वे लिखने का समय नहीं निकाल पाते।

महाराज ने कहा-  राजा की बत्रडाई करने चारण- भाट, प्रशास्तिं और यश गायक पूरे राज्य में घूम रहे हैं। राज्य में जनसम्पर्क विभाग चल रहा है फिर लेखकों कीनियुक्ति से राज्य के राजस्व पर अतिरिक्त भार क्यों?

विदूषक ने कहा-  महाराज, चारण- भाट, यशगान करने वाले गायक प्रजा के बीच जनसम्पर्क कर आपका गुण गाते हैं, शासकीय कार्यों का प्रचार करते हैं। लेकिन कुछ और काम छूट जाते हैं, ऐसे कार्य शासकीय लेखक कर्मी करेंगे।

महाराज बोले-  एक बात यह कि राज्य में शासकीय सेवा के पदों पर भर्ती बंद है। पद समाप्त कर दिए गए हैं। नए पद सृजित नहीं किये जा रहे। लेखकों कीनियुक्ति पर राज्य वित्त विभाग और खजांची आपत्ति लेंगे।

विदूषक ने कहा-  महाराज राज्य में जैसे शिक्षकों के स्थान पर शिक्षाकर्मी नियुक्ति हो रहे हैं, तदर्थ प्राध्यापक नियुक्ति हो रहे हैं उसी तरह लेखक कर्मी नियुक्ति होंगे। राज्य के खजाने पर ज्यादा भार नहीं पडेगा। लेखक कर्मी योजना सफल रही तो विश्व बैंक और एशियान बैंक से मदद मिल जाएगी।

महाराज ने कहा-  ठीक है विदूषक जी, तुम हमारे सलाहकार हो, राज्य हित में जो उचित लगे करो।

उसके बाद विदूषक ने मंत्री, दीवान, सेनापति, कोषालय अध्यक्ष, वित्त अधिकारी, खजांची की बैठक बुलाई। बोले-  राज्य में लेखक कर्मी पद परनियुक्ति करनी है। इस पद के लिए विज्ञापन निकाला जाए। पद परनियुक्ति के लिए अहर्ता ऐसी हो-  जो इस पद परनियुक्ति चाहते हैं उन्हें जयंती, पुण्यतिथि, विशेष अवसरों पर लेख, विशेष क्षेत्र के कार्य, लघु व तीर्थ जीवनी लिखने का कम से कम दस साल का अनुभव हो, अनुभव के आधार पर शैक्षणिक योग्यता शिथिल की जा सकती है। उम्र का कोई बंधन नहीं।

विदूषक जी के निर्देशानुसार शासकीय प्रशासन गृह से विज्ञापन जारी हुआ। एक सप्ताह के अंदर ही कुछ आवेदन पत्र प्राप्त हुए और प्राप्त आवेदन पत्रों पर विचार शुरू हुआ।

विदूषक ने महाराज से कहा-  महाराज लेखक कर्मी पद के लिए कुछ आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन पर एक नजर डाल लेते। पहला आवेदन पत्र इस तरह का है-  आपके विज्ञापन के उत्तर में आवेदन पत्र पेश करते हुए अपने बारे में निम्न जानकारी दे रहा हूँ-  मेरी उम्र पचास वर्ष की है। मैं केवल जयंती और पुण्य तिथि लेखक हूँ। त्यौहार-  बार, पर्व पर भी लिखता हूँ। गद्य और पद्य, दोनों में समान रूप से लिख सकता हूँ। अब तक सौ पुण्य तिथि व सौ जयंती पर लिखे लेखों के पाँच संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। तीन का लोकार्पण वर्तमान दीवान जी महोदय ने किया। जानकारी के लिए पाँचों संकलन संलग्न है।

महाराज ने कहा-  यह लेखक काम का लगता है।

विदूषक ने कहा-  लेकिन इनका क्षेत्र सीमित है, केवल जयंती और पुण्य तिथि पर ही लिखते रहे हैं ये लेखक महोदय।

महाराज ने कहा-  तो और क्या चाहिए तुम्हें विदूषक जी।

विदूषक ने कहा-  हर आयोजन पर और पुण्य कर्म, कर्मकांड पर लिखने वाले लेखक चाहिए महाराज।

महाराज ने कहा-  राज्य मे लेखकों की कमी हो गई है क्या?

विदूषक ने कहा-  लेखक तो हैं, महाराज, लेकिन वे कविताएँ, कहानियाँ, लेख, उपन्यास आदि लिखते हैं। क्रांति के गीत गाते हैं। राजा को ऐसे लेखकों से क्या मतलब।

महाराज ने कहा-  ठीक कहते हो। अब अगले आवेदन पत्रों पर विचार कीजिए।

विदूषक ने कहा-  महाराज मिल गया, जैसा चाहिए वैसा उम्मीदवार मिल गया।

महाराज ने कहा-  चलो तुम्हारे मन का उम्मीदवार मिला विदूषक जी। क्या-  क्या योग्यताएँ हैं इनमें।

विदूषक ने कहा-  योग्यताएँ भी है और अनुभव भी है। व्यापक क्षेत्र में इनका अनुभव है-  ये महोदय जयंती, पुण्यतिथि पर तो लिखते ही हैं। ये तेरही, बरसी, मुंडन, नकछेदन, कनछेदन, पाटीपूजा पर भी लिखते हैं।

महाराज ने कहा-  यानि कि मेरे पुरखों की पुण्य तिथि पर लिखेंगे…

विदूषक-  और यह भी लिख सकते हैं कि उनका मुंडन कब, कैसे हुआ। मुंडन संस्कार का बत्रिढया रोचक पठनीय वर्णन लिख सकते हैं।

महाराज-  मेरे पूर्वजों के जनेऊ संस्कार, नकछेदन, कनछेदन पर भी लिख सकते हैं।

विदूषक ने कहा-  हाँ, और आप पहली बार किस तरह राजा बने यह भी कवितमय शैली में लिखेंगे।

महाराज ने पूछा-  लेकिन ऐसे लेखक राज के किस काम आएंगे।

विदूषक ने कहा-  महाराज ये रोज एक लेख आप पर, आपके पुरखों पर लिखेंगे और प्रजा तक भेजेंगे। प्रजा ऐसे लेख पढने में मगन रहे। फालतू कथा, कहानी, कविता न सुने न गुने। राज का काम इसी तरह चलता है।

महाराज ने कहा-  वाह! विदूषक जी कमाल का है तुम्हारा दिमाग। तुम इन्हें नियुक्ति करो और राज्य ज्ञान मण्डल को सूचित कर दो कि राज्य में लेखक कर्मी कीनियुक्ति कर दी गई।

अगले अंक में जारी….

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