कोरोना संकट ने पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ लाभ अर्जन की प्राथमिकता वाले पूंजीवादी ढांचे को बुरे तरीके से हिला दिया है इसमें कोई शक शुबा नहीं रह गया है। इस विश्वव्यापी अभूतपूर्व संकट के सामने पूंजीवादी देश पूरी तरह असहाय नज़र आ रहे हैं। आजपूंजीवाद अपने चरम पर आ चुका है । भारत […]
Read Moreयह वर्ष फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी वर्ष है। हमारी कोशिश होगी कि हम लगातार उनकी रचनाओं को आपके लिए लेकर आएं । आज पढिए कहानी- पहलवान की ढोलक (संपादक) जाड़े का दिन। अमावस्या की रात—ठंढ़ी और काली। मलेरिया और हैजे से पीड़ित गांव भयार्त शिशु की तरह थर—थर कांप रहा था। पुरानी और उजड़ी, बांस—फूस […]
Read Moreशाम का समय था, हम लोग प्रदेश, देश और विश्व की राजनीति पर लंबी चर्चा करने के बाद उस विषय से ऊब चुके थे। चाय बड़े मौके से आई, लेकिन उस ताजगी का सुख हम ठीक तरह से उठा भी न पाए थे कि नौकर ने आकर एक सादा बंद लिफाफा मेरे हाथ में रख […]
Read Moreहिंदी के यशस्वी लेखक कृष्ण बलदेव वैद 92 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा हो चुके हैं। उन्होंने अंतिम सांस अमेरिका के न्यूयॉर्क में ली, जहां वे अपनी बेटियों के साथ वर्षों से रह रहे थे। भारत और अमेरिका के बीच उनकी आवाजाही बराबर रही, लेकिन उनकी लेखनी की धारदार निब भारत की […]
Read Moreफिल्म आर्ट कल्चर एंड थिएट्रिकल सोसायटी (FACT) रायपुर द्वारा सुप्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर की स्मृति मे’ तरंगम 4 आयोजन के पहले दिन की शुरुवात सुप्रसिद्ध नाट्यकार पुणे निवासी सुषमा देशपांडे की प्रस्तुति ‘ जब गांधी मुझसे मिले’ से हुई। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रायपुर व छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाले हबीब तनवीर […]
Read Moreहिंदी साहित्य की प्रगतिशील परम्परा का सबसे चमकदार सितारा अंततः अस्त हो गया। लगभग एक दशक पहले सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रियंवद को दिए एक साक्षात्कार में तब 80 पार के नामवर ने कहा था , मैं अपने पिता की तरह अकेला हो गया हूं । हालांकि वे तब काफी सक्रिय थे और लगातार देश भर में […]
Read Moreकिसी भी देश का संविधान, नागरिकों और राज्य के बीच एक पवित्र बंधन है। इसके साथ ही वह एक संविदा भी है। संविधान की संकल्पना हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा दिए गए “सामाजिक संविदा” के सिद्धांत के आधार पर मूर्त रूप ले पाई। उनके अनुसार, राज्य की उत्पत्ति इसलिए हुई कि जो प्राकृतिक व्यवस्था थी, […]
Read MoreThe following paper was presented at an International Winter School on “Globalistion and Religious Diversity: Issues, Perspectives and the Relevance of Gandhian Philosophy”, organised by the Ambedkar University, Delhi and Aarhus University, on January 8-14, 2020. Commemorating the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi, I find it most relevant to talk about a subject like […]
Read Moreएक बात जो उनके संदर्भ में ज्यादा प्रकाश में नहीं लाई जाती वो है उनका पत्रकार के रूप में लिखा गया महत्वपूर्ण गद्य,कहा जा सकता है ये उनका अल्प पठित गद्यांश है जिस पर हिन्दी जगत में कभी भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। मुक्तिबोध ने अपनी दीगर रचनाओं के मुकाबले अखबारी लेखन कम ही […]
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