सम्पादकीय

फैलती महामारी,जूझता पूंजीवाद और जीवनदायी समाजवादी खुराक–जीवेश चौबे

April 6, 2020

कोरोना संकट ने पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ लाभ अर्जन की प्राथमिकता वाले पूंजीवादी ढांचे को बुरे तरीके से हिला दिया है इसमें कोई शक शुबा नहीं रह गया है। इस विश्वव्यापी अभूतपूर्व संकट के सामने पूंजीवादी देश पूरी तरह असहाय नज़र आ रहे हैं। आजपूंजीवाद अपने चरम पर आ चुका है । भारत […]

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कहानी -‘पहलवान की ढोलक’ः फणीश्वरनाथ रेणु

April 1, 2020

यह वर्ष  फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी वर्ष है। हमारी कोशिश होगी कि हम लगातार उनकी रचनाओं को आपके लिए लेकर आएं । आज पढिए कहानी- पहलवान की ढोलक (संपादक) जाड़े का दिन। अमावस्या की रात—ठंढ़ी और काली। मलेरिया और हैजे से पीड़ित गांव भयार्त शिशु की तरह थर—थर कांप रहा था। पुरानी और उजड़ी, बांस—फूस […]

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धर्म संकट– अमृतलाल नागर

March 31, 2020

शाम का समय था, हम लोग प्रदेश, देश और विश्‍व की राजनीति पर लंबी चर्चा करने के बाद उस विषय से ऊब चुके थे। चाय बड़े मौके से आई, लेकिन उस ताजगी का सुख हम ठीक तरह से उठा भी न पाए थे कि नौकर ने आकर एक सादा बंद लिफाफा मेरे हाथ में रख […]

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कृष्ण बलदेव बैदः नफरतविहीन समाज का खोजी

March 4, 2020

हिंदी के यशस्वी लेखक कृष्ण बलदेव वैद 92 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा हो चुके हैं। उन्होंने अंतिम सांस अमेरिका के न्यूयॉर्क में ली, जहां वे अपनी बेटियों के साथ वर्षों से रह रहे थे। भारत और अमेरिका के बीच उनकी आवाजाही बराबर रही, लेकिन उनकी लेखनी की धारदार निब भारत की […]

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सुप्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर की स्मृति में ‘ तरंगम 4 का आयोजन

February 26, 2020

फिल्म आर्ट कल्चर एंड थिएट्रिकल सोसायटी (FACT) रायपुर द्वारा   सुप्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर की स्मृति मे’ तरंगम 4 आयोजन के पहले दिन की शुरुवात सुप्रसिद्ध नाट्यकार पुणे निवासी सुषमा देशपांडे की प्रस्तुति ‘ जब गांधी मुझसे मिले’ से हुई।  उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रायपुर व छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाले हबीब तनवीर […]

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नामवरी जीवन और एकांत भरा अंतिम अरण्य- जीवेश प्रभाकर

February 19, 2020

हिंदी साहित्य की प्रगतिशील परम्परा का सबसे चमकदार सितारा अंततः अस्त हो गया। लगभग एक दशक पहले सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रियंवद को दिए एक साक्षात्कार में तब 80 पार के नामवर ने कहा था , मैं अपने पिता की तरह अकेला हो गया हूं । हालांकि वे तब काफी सक्रिय थे और लगातार देश भर में […]

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मौलिक अधिकार लगाते हैं राज्य की शक्तियों पर अंकुश-फैज़ान मुस्तफा

January 29, 2020

किसी भी देश का संविधान, नागरिकों और राज्य के बीच एक पवित्र बंधन है। इसके साथ ही वह एक संविदा भी है। संविधान की संकल्पना हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा दिए गए “सामाजिक संविदा” के सिद्धांत के आधार पर मूर्त रूप ले पाई। उनके अनुसार, राज्य की उत्पत्ति इसलिए हुई कि जो प्राकृतिक व्यवस्था थी, […]

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Religious Faith, Secularism and Gandhi-Gargi Chakravartty

January 28, 2020

The following paper was presented at an International Winter School on “Globalistion and Religious Diversity: Issues, Perspectives and the Relevance of Gandhian Philosophy”, organised by the Ambedkar University, Delhi and Aarhus University, on January 8-14, 2020. Commemorating the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi, I find it most relevant to talk about a subject like […]

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मुक्तिबोधः पत्रकारिता के प्रगतिशील प्रतिमान —-जीवेश प्रभाकर

December 6, 2019

एक बात जो उनके संदर्भ में ज्यादा प्रकाश में नहीं लाई जाती वो है उनका पत्रकार के रूप में लिखा गया महत्वपूर्ण गद्य,कहा जा सकता है ये उनका अल्प पठित गद्यांश है जिस पर हिन्दी जगत में कभी भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। मुक्तिबोध ने अपनी दीगर रचनाओं के मुकाबले अखबारी लेखन कम ही […]

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