खनकती संजीदा आवाज़ के धनी मशहूर रंग निर्देशक , आकाशवाणी के प्रसिद्ध उदघोषक मिर्ज़ा मसूद नहीं रहे। वो पुरअसर आवाज़ खामोश हो गई। रेडियो और रंगमंच दोनों माध्यमों में वे हमेशा आवाज़, शब्द और उच्चारण की स्पष्टाता पर बहुत ध्यान दिया करते थे। मिर्ज़ा साहब पांच से भी ज्यादा दशक तक रायपुर के कला, संस्कृति […]
Read Moreइंदौर।”कला व नाटक का काम सच कहना है। अगर हम सच कहते हैं तो वही अपने आप में प्रतिरोध है। ” प्रख्यात नाट्यकर्मी, अभिनेता और लेखक व निर्देशक सुधन्वा देशपाण्डे ने भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्तव्य देते हुए कही। उन्होंने कहा कि बंगाल के अकाल की विभीषिका से द्रवित […]
Read Moreवंदना राग उनकी कहानियां कभी भी पुरानी नहीं पड़ सकतीं क्योंकि मनुष्य के जो मनोभाव और भावात्मक जुड़ाव हैं, उन्हें मन्नू भंडारी बहुत गहरे से पकड़ती थीं. मन्नू भंडारी का व्यक्तित्व बेहद निश्छल और स्नेहमय था. उनके भीतर गांभीर्य के साथ एक विशिष्ट शीतलता थी. उनसे मिलनेवाले हर किसी को यह तुरंत महसूस होता था. […]
Read Moreमहान फिल्म निर्देशक, फिल्म-लेखक, कहानीकार-उपन्यासकार, पत्रकार कितनी ही प्रतिभाओं के धनी ख्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मकता और सामाजिक चिंताओं को उनकी फ़िल्मों के माध्यम से समझने के लिए भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की केन्द्रीय इकाई ने 3 जुलाई 2021 को ज़ूम के माध्यम से एक कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत की। कार्यक्रम में सीएसडीएस, दिल्ली […]
Read Moreअनुराग भारद्वाज सज्जाद हुसैन विलक्षण संगीतकार थे मगर उनके मिजाज ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर कर दिया परफेक्शनिस्ट ऐसे कि दिलीप कुमार और आमिर खान भी इनके सामने पानी भरें. एक गाने के लिए उन्होंने तलत महमूद से 17 बार रिहर्सल करवाई. गाने के ज़बरदस्त हिट होने बाद भी यही कहते रहे कि कुछ […]
Read Moreनिशा कर्दम साल 1880 में ब्रिटिश भारत में जन्मी बेगम रुकैया सख़ावत हुसैन को एक बंगाली लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और बंगाल की अग्रणी नारीवादी के रूप में जाना जाता है। लैंगिक समानता की घोर समर्थक बेगम रुकैया ने कई लघु कथाएं, उपन्यास, कविताएं, व्यंग्य और निबंध लिखे, जिसमें उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के बराबरी का दर्जा दिया। […]
Read Moreशेखर पाठक लाल बहादुर वर्मा सत्य की समझ, अन्याय के विरोध और मानवीयता के समर्थन को जरूरी मानते थे. लेकिन इस त्रिभुज के बीचोंबीच एक दिल का निशान भी था लाल बहादुर वर्मा (10 जनवरी 1938, गोरखपुर – 16 मई 2021, देहरादून) को अगर एक शब्द में बयान करना हो तो मैं उन्हें मुस्कुराहट कहना […]
Read Moreछत्तीसगढ़ के रंगमंच में सितारा हैसियत रखने वाले इस शख्स के अंदर अदबाे आदाब का कीमती खज़ाना था ,यह व्यक्ति चलता था ताे इसके साथ साथ सभ्यता चलती थी , यह व्यक्ति सच्चाई, ईमानदारी का प्रतीक था, वामपंथी विचारधारा का अलमबरदार था, न इसे दाैलत की भूख थी न श्रेय लेने की प्यास | कामरेड […]
Read Moreएम.ए. समीर किसान-कवि, लेखक और निर्भीक पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी राजद्रोह में जेल गए, CM पद ठुकराया और सम्मान लौटाया शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसने स्कूली शिक्षा के दौरान या फिर साहित्य-अध्ययन के दौरान ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता न पढ़ी हो. चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी-माला में […]
Read Moreरज़ा नईम साहिर लुधियानवीः 1921-1980- “साहिर लुधियानवी की शायरी में अपने वक्त और आम आदमी के हक-हुकूक की आवाज खुलकर उठी” सौ साल पहले मार्च में लुधियाना के एक पंजाबी जमींदार परिवार में जन्मे अब्दुल हई बाद में साहिर लुधियानवी नाम से मशहूर हुए। 1980 में मुंबई में उनका निधन हुआ। वे धनी-मानी जमींदार के […]
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