आलेख

अन्तर्राष्ट्रीयतावाद की आवश्यकता

December 10, 2020

अनीश अंकुर ऐतिहासिक थर्ड कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस (1920) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर विशेष । 1920 में हुए कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस ने पहली के मुकाबले एक बड़ी छलांग लगाई थी। मार्च 1919 में सम्पन्न पहली कांग्रेस में सिर्फ 51 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बोल्शेविकों को छोड दें तो बाहरी मुल्कों […]

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स्मृति शेष: वह हारनेवाले कवि नहीं थे- विष्णु नागर

December 10, 2020

मंगलेश डबराल को याद करते हुए वरिष्ठ कवि-लेखक विष्णु नागर लिखते हैं- वह हमारे समय के सबसे चर्चित और सबसे सक्रिय कवियों-लेखकों में थे। उनकी निगाहें साहित्य ही नहीं, हमारे समय के राजनीतिक विद्रूप पर भी लगातार रहती थी। वह इस समय जितने बेचैन, व्यथित और बदलने की इच्छा से भरे हुए थे,ऐसे हिंदी कवि […]

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विवादित कृषि क़ानून वापस नहीं लिए गए तो छोटे किसान खत्म हो जाएंगे!

December 9, 2020

अजय कुमार भले ही ये कहा जा रहा है कि मौजूदा आंदोलन में बड़े किसानों की सहभागिता अधिक है लेकिन हक़ीक़त यह है कि अगर एमएसपी की गारंटी नहीं मिली और तीनों क़ानून वापस नहीं लिए गए तो छोटे किसानों का भारतीय कृषि में बचा हिस्सा भी खत्म हो जाएगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की […]

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…आदमी को तोड़ती नहीं, नपुंसक बना देती हैं!- अपूर्वानंद

December 8, 2020

संसद में मत-विभाजन में विपक्ष जीत नहीं पाया है। फिर इनका विरोध सड़क पर करना संसद की अवमानना, जनमत की अवहेलना नहीं तो और क्या है? यही बात अभी खेती-किसानी से संबंधित क़ानूनों के बारे में कही जा रही है। जब संसद के दोनों सदनों ने ये क़ानून पारित कर दिए तो सड़क पर उनका […]

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कैसे पंजाब के भूमि संपन्न और भूमिहीन किसानों के बीच की दीवार सरकार से लड़ने के लिए ढह गई?

December 4, 2020

अजय कुमार पंजाब के बड़े-छोटे, मझोले, भूमि विहीन किसान साथ मिलकर सरकार को चुनौती दे रहे हैं। आखिरकार इनके बीच मौजूद दरार किस तरह से पाट दी गई। इसलिए खासकर पंजाब की खेती-किसानी और यहां के आंदोलन को समझना थोड़ा वाजिब हो जाता है। तो चलिए पंजाब की खेती किसानी को समझने के सफर पर […]

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किसानों का विरोध महज़ एमएसपी को लेकर नहीं, ग्रामीण भारत के कॉर्पोरेट अधिग्रहण को लेकर भी है

December 2, 2020

प्रज्ञा सिंह  सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले इन किसानों की सोच पर जो बात सबसे ज़्यादा हावी है, वह है उनके खेतों में मंडराने वाले कॉर्पोरेटों का डर। वे पारित किये गये इन तीन नये क़ानूनों में से उस एक क़ानून में अनुबंध खेती से सम्बन्धित प्रावधानों को ग्रामीण भारत पर कॉर्पोरेट के प्रभाव को […]

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हठ करने पर किसानों का ही नुक़सान होगा! – जस्टिस मार्कंडेय काटजू

December 2, 2020

1 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच बातचीत हुई। जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होगी। किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार तीनों क़ानूनों को वापस ले। मुझे भय है कि आंदोलनकारी किसानों की ओर से हठी होना केवल हिंसा को ही जन्म देगा, इसलिये मेरा मानना […]

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‘लव जिहाद’ पर कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट से झटका!

December 1, 2020

विप्लव अवस्थी कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। मुसलिम लड़के से शादी करने को लेकर एक लड़की के मामले में दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि, ‘किसी भी वयस्क व्यक्ति के […]

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सिख-मुसलमान साथ नहीं आ सकते तो राष्ट्र कैसा?- अपूर्वानंद

November 30, 2020

राष्ट्र का अर्थ है नितांत भिन्न प्रकृति के लोगों की एक दूसरे के प्रति ज़िम्मेवारी की भावना का दृढ़ होना और भिन्न पहचानों के साथ और उनके बावजूद सहभागिता का निर्माण। लेकिन अगर एक बिहारी बंगाली की तकलीफ़ नहीं समझ सकता या एक हिंदू एक मुसलमान का दर्द नहीं साझा कर सकता और एक सिख […]

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कामगारों को निर्धन बनाकर अर्थव्यवस्था में जारी सुधार लंबे वक़्त तक नहीं टिकेगा

November 28, 2020

प्रभात पटनायक लॉकडाउन से पैदा हुई खाई से उबर रही GDP में सुधार के साथ फ़िलहाल बड़ी मात्रा में श्रम का विस्थापन और वेतन-भत्तों में कमी देखी जा रही है। जब हालात सामान्य होंगे, तो अर्थव्यवस्था कुछ हद तक लॉकडाउन की खाई से निकलकर बाहर आएगी ,लेकिन यह सरकार की बदौलत नहीं है। यहां तक […]

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