अनीश अंकुर ऐतिहासिक थर्ड कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस (1920) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर विशेष । 1920 में हुए कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस ने पहली के मुकाबले एक बड़ी छलांग लगाई थी। मार्च 1919 में सम्पन्न पहली कांग्रेस में सिर्फ 51 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बोल्शेविकों को छोड दें तो बाहरी मुल्कों […]
Read Moreमंगलेश डबराल को याद करते हुए वरिष्ठ कवि-लेखक विष्णु नागर लिखते हैं- वह हमारे समय के सबसे चर्चित और सबसे सक्रिय कवियों-लेखकों में थे। उनकी निगाहें साहित्य ही नहीं, हमारे समय के राजनीतिक विद्रूप पर भी लगातार रहती थी। वह इस समय जितने बेचैन, व्यथित और बदलने की इच्छा से भरे हुए थे,ऐसे हिंदी कवि […]
Read Moreअजय कुमार भले ही ये कहा जा रहा है कि मौजूदा आंदोलन में बड़े किसानों की सहभागिता अधिक है लेकिन हक़ीक़त यह है कि अगर एमएसपी की गारंटी नहीं मिली और तीनों क़ानून वापस नहीं लिए गए तो छोटे किसानों का भारतीय कृषि में बचा हिस्सा भी खत्म हो जाएगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की […]
Read Moreसंसद में मत-विभाजन में विपक्ष जीत नहीं पाया है। फिर इनका विरोध सड़क पर करना संसद की अवमानना, जनमत की अवहेलना नहीं तो और क्या है? यही बात अभी खेती-किसानी से संबंधित क़ानूनों के बारे में कही जा रही है। जब संसद के दोनों सदनों ने ये क़ानून पारित कर दिए तो सड़क पर उनका […]
Read Moreअजय कुमार पंजाब के बड़े-छोटे, मझोले, भूमि विहीन किसान साथ मिलकर सरकार को चुनौती दे रहे हैं। आखिरकार इनके बीच मौजूद दरार किस तरह से पाट दी गई। इसलिए खासकर पंजाब की खेती-किसानी और यहां के आंदोलन को समझना थोड़ा वाजिब हो जाता है। तो चलिए पंजाब की खेती किसानी को समझने के सफर पर […]
Read Moreप्रज्ञा सिंह सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले इन किसानों की सोच पर जो बात सबसे ज़्यादा हावी है, वह है उनके खेतों में मंडराने वाले कॉर्पोरेटों का डर। वे पारित किये गये इन तीन नये क़ानूनों में से उस एक क़ानून में अनुबंध खेती से सम्बन्धित प्रावधानों को ग्रामीण भारत पर कॉर्पोरेट के प्रभाव को […]
Read More1 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच बातचीत हुई। जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होगी। किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार तीनों क़ानूनों को वापस ले। मुझे भय है कि आंदोलनकारी किसानों की ओर से हठी होना केवल हिंसा को ही जन्म देगा, इसलिये मेरा मानना […]
Read Moreविप्लव अवस्थी कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। मुसलिम लड़के से शादी करने को लेकर एक लड़की के मामले में दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि, ‘किसी भी वयस्क व्यक्ति के […]
Read Moreराष्ट्र का अर्थ है नितांत भिन्न प्रकृति के लोगों की एक दूसरे के प्रति ज़िम्मेवारी की भावना का दृढ़ होना और भिन्न पहचानों के साथ और उनके बावजूद सहभागिता का निर्माण। लेकिन अगर एक बिहारी बंगाली की तकलीफ़ नहीं समझ सकता या एक हिंदू एक मुसलमान का दर्द नहीं साझा कर सकता और एक सिख […]
Read Moreप्रभात पटनायक लॉकडाउन से पैदा हुई खाई से उबर रही GDP में सुधार के साथ फ़िलहाल बड़ी मात्रा में श्रम का विस्थापन और वेतन-भत्तों में कमी देखी जा रही है। जब हालात सामान्य होंगे, तो अर्थव्यवस्था कुछ हद तक लॉकडाउन की खाई से निकलकर बाहर आएगी ,लेकिन यह सरकार की बदौलत नहीं है। यहां तक […]
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