वाल्टर बेंजामिन (जन्म : 15 जुलाई 1892 – निधन : 26 सितंबर 1940 ) वाल्टर बेंजामिन जर्मन के एक दार्शनिक, सांस्कृतिक आलोचक और निबंधकार थे. बेंजामिन ने सौंदर्य सिद्धांत एवं साहित्यिक आलोचना के लिए प्रभावशाली योगदान दिया. आधुनिक समाज में सर्वहारा वर्ग का बढ़ना और जनता का बढ़ना, दोनों एक ही प्रक्रिया के दो पहलू हैं। फासीवाद की […]
Read Moreजिहाद और जिहादी – इन दोनों शब्दों का पिछले दो दशकों से नकारात्मक अर्थों और सन्दर्भों में जम कर प्रयोग हो रहा है. इन दोनों शब्दों को आतंकवाद और हिंसा से जोड़ दिया गया है. 9/11 के बाद से इन शब्दों का मीडिया में इस्तेमाल आम हो गया है. 9/11/2001 को न्यूयार्क में वर्ल्ड ट्रेड […]
Read Moreकोरोना वायरस से फैली महामारी के दौर में जर्मनी की संत कोरोना चर्चा में आ गई हैं. जर्मनी के आखेन कैथीड्रल उनका अस्थि अवशेष रखा है. कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण अब तक दुनिया भर में लाखों लोगों की जान जा चुकी है. इस कठिन दौर में लोगों का ध्यान ईसाई संत कोरोना […]
Read Moreप्रवासी मजदूरों के पलायन के बीच एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि देश में करोड़ों शिक्षित युवा बेरोजगार हो गए हैं जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच हैं, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमीकी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल महीने में देश के 2.7 करोड़ युवाओं की नौकरी चली गई, ये युवा 20 […]
Read More‘हम भारत के लोग’- यहां से शुरू होने वाली भारतीय संविधान की प्रस्तावना में यह ‘हम’ कौन है? यह सवाल कुछ वैसा ही है जैसा रघुवीर सहाय ने अपनी मशहूर कविता में पूछा था- ‘जन गण मन में भला कौन यह भारत भाग्य विधाता है / फटा सुथन्ना पहने जिसके गुण हरचरना गाता है।’ लेकिन […]
Read Moreहम उनकी बात न करें जो इस घड़ी इंसानियत की याद को ज़िंदा रखने के लिए भाग-भाग कर भूखे प्यासे लोगों तक किसी भी तरह कुछ राहत पहुँचाने के जतन में लगे हैं। यह डरा हुआ समाज इनकी बहादुरी को अपनी शर्म ढँकने के लिए आड़ बनाएगा। लेकिन यह चतुराई है। क्योंकि यह मानवीयता इस […]
Read More-10 मई, शायर-गीतकार कैफी आजमी की पुण्यतिथि पर – क़ैफी आज़मी, तरक्कीपसंद तहरीक के अगुआ और उर्दू अदब के अज़ीम शायर थे। तरक्कीपसंद तहरीक को आगे बढ़ाने और उर्दू अदब को आबाद करने में उनका बड़ा योगदान है। वे इंसान-इंसान के बीच समानता और भाईचारे के बड़े हामी थे। उन्होंने अपने अदब के जरिए इंसान […]
Read Moreहमारी दुनिया पर कोरोना वायरस के हमले के बाद सभी को उम्मीद थी कि इस अदृश्य शत्रु से लडाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी और इस लडाई को नस्ल, धर्म आदि की दीवारों से ऊपर उठ कर लड़ा जायेगा. परन्तु यह दुखद है कि भारत में स्थितियां इतनी बदतर हो गईं कि संयुक्त राष्ट्रसंघ तक को […]
Read Moreमहात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर अपने समय की दो महान आत्माएँ थीं। एक ही समय में इस प्रकार के व्यक्तित्व अपनी-अपनी तरह से अलग क्षेत्रों में काम करते हुए एक दूसरे से इस प्रकार जुड़े होंगे, यह कल्पनातीत विश्वास उनके पत्रों को पढ़कर दृढ़ होता है। साहित्य और कला क्षेत्रों के साथ राजनीतिक क्षेत्र में […]
Read Moreविस्तारित लॉकडाउन पर विचार अहम है। यह हर किसी के लिए अनकही दुश्वारियां लेकर आया है, खासकर हाशिए पर गुजर-बसर करने वाले वर्ग की तकलीफों की तो इंतहा हो गई है। जरूरी वस्तुओं को छोड़कर ज्यादातर उत्पादन ठप है, कारोबार घाटा झेल रहे हैं और इनमें अनेक तो शायद दोबारा खड़े भी न हो पाएं। […]
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