आलेख

‘हमारे महानायक क्या बोलना नहीं जानते या…?’

February 5, 2021

सुभाष गाताडे अगर हम बारीकी से पड़ताल करें तो पाएंगे व्यापक सामाजिक मसलों पर चुप्पी बनाए रखना हमारे अधिकतर सेलेब्रिटीज का – फिर वह चाहे बॉलीवुड के हों, खेल जगत के हो या क्रिकेट की दुनिया के हों – की पहचान बन गया है। अधिकतर लोग वैसी ही बात बोलना पसंद करते हैं जो हुकूमत […]

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बिल गेट्स की भविष्यवाणी के आईने में समझिए बजट 2021-22 में दर्ज “स्वास्थ्य संकट”!

February 2, 2021

डॉ. ए.के. अरुण  लोकसभा में पेश बजट 2021-22 कोरोना काल का बजट है इसलिए इसमें स्वास्थ्य के मद में कुछ ज्यादा धन दिखाई दे रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में ‘‘स्वास्थ्य संकट’’ का स्पष्ट उल्लेख यह दर्शाने के लिए काफी है कि आने वाले समय में स्वास्थ्य की चुनौतियां ज्यादा गंभीर […]

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भारत गृह युद्ध की तरफ ढकेला जा रहा है! – अपूर्वानंद

February 1, 2021

पिछली बार मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा का प्रचार किया गया और फिर उनपर भीड़ की हिंसा को स्वतःस्फूर्त क्षोभ की अभिव्यक्ति कहा गया। इस बार सिखों के ख़िलाफ़ घृणा का प्रचार किया जा रहा है। भारत गृह युद्ध की तरफ ढकेला जा रहा है। यह शासकों की तरफ से किया जा रहा है। या शायद […]

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‘हिंदू धर्म का नाम किसी ने रौशन कर रखा है तो वे गांधीजी ही हैं’

January 31, 2021

अव्यक्त 31 जनवरी, 1948 को दिए इस वक्तव्य में विनोबा भावे बताते हैं कि क्यों जब गांधीजी जैसा पुरुष देह छोड़कर जाता है तो वह रोने का प्रसंग नहीं होता अभी इस समय दिल्ली में जमुना नदी के किनारे पर एक महान पुरुष की देह अग्नि में जल रही है. हम यहां जिस तरह प्रार्थना […]

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न मूर्तियों से गोडसे जिंदा होंगे, न गोलियों से गांधी मर सकते हैं

January 30, 2021

प्रियदर्शन गांधी को मारने वाले गोडसे की चाहे जितनी मूर्तियां बना लें, वे गोडसे में प्राण नहीं फूंक सकते. गांधी को वे चाहे जितनी गोलियां मारें, गांधी अब भी सांस लेते हैं एनसीईआरटी के प्रमुख रहे सुख्यात शिक्षाशास्त्री कृष्ण कुमार ने अपनी किताब ‘शांति का समर’ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाया है- राजघाट […]

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आरके लक्ष्मण : जिनकी रेखाएं हमारे चेहरे की धूल बुहारती थीं- प्रियदर्शन

January 27, 2021

लक्ष्मण को जो भारत मिला, वह कई मायनों में बहुत सहनशील था. तब राजनीति और विचारधाराएं व्यंग्य का बुरा नहीं मानती थीं और कार्टूनों पर हंसने का सलीका जानती थीं ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के एक कोने में बैठा उनका कॉमन मैन बरसों नहीं, दशकों तक सबको कभी गुदगुदाता, कभी नाराज़ करता रहा, समाज, राजनीति और […]

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नेताजी हमसे पूछते हैं, तुमने मर्यादा का कौन सा मान कायम किया?- अपूर्वानंद

January 25, 2021

एक राज्य की मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री को मर्यादा का ध्यान दिलाया। अवसर बड़ा था। सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का। एक ऐसे व्यक्ति के स्मरण का जिसने खुद को देश के लिए क़ुर्बान कर दिया। ऐसे व्यक्ति की स्मृति ही एक मर्यादा बाँध देती है। आपके बेलगाम आवेग, आपकी आत्मग्रस्तता को कुछ […]

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भगत सिंह की नजर में सुभाष चंद्र बोस संकीर्ण और नेहरू दूरदृष्टि वाले क्रांतिकारी थे – अपूर्वानंद

January 23, 2021

आम धारणा है कि भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक सोच एक ही थी जबकि बोस और नेहरू, आजादी से पहले वाले भारत की राजनीति के दो विपरीत ध्रुव थे. एक बड़ा वर्ग है जो मानता है कि नेहरू ने आराम की जिंदगी जी थी जबकि बोस ने पहले इंडियन सिविल सर्विस की […]

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फिर वे मेरे लिये आये, कोई बचा नहीं था मेरे लिये बोलने को- अपूर्वानंद

January 18, 2021

रिहाई के बाद नीमोलर ने जो मंथन किया उससे वे इस नतीजे पर पहुँचे कि यहूदियों का जो क़त्लेआम हुआ, उसमें उनकी तरह के जर्मनों की खामोश भागीदारी थी। उन्होंने सामूहिक अपराधबोध की बात की। इस कारण वे जर्मनी में अलोकप्रिय हो गए भले ही जर्मनी के बाहर उनकी शोहरत उनके इस सिद्धांत के कारण […]

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क्या सर्वोच्च अदालत ने अपना रुतबा गँवा दिया है?- अपूर्वानंद

January 15, 2021

कानूनदाँ तबक़ा अदालत के रुख पर सर पकड़ कर बैठ गया है। उसका कहना है कि अदालत वह कर रही है जो विधायिका और कार्यपालिका का काम है। यह ख़तरनाक शुरुआत है। जनतंत्र में संस्थाओं के बीच कार्य विभाजन साफ़ है। अदालत ने क़ानूनों की संवैधानिकता पर विचार नहीं किया है जो उसका काम है। […]

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