अनिल जैन नज़रिया: हर समाज, देश और युग में कोई न कोई महानायक हुआ है जिसने अन्याय और अत्याचार के तत्कालीन यथार्थ से जूझते हुए स्थापित व्यवस्था को चुनौती दी है और सामाजिक न्याय की स्थापना के प्रयास करते हुए न सिर्फ अपने समकालीन समाज को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी गहरे तक प्रभावित किया […]
Read Moreप्रेम कुमार बंटवारे के वक्त तो बंटे हुए लोग एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हो रहे थे। आज़ाद हिन्दुस्तान के नागरिक तो बंटे हुए नहीं हैं फिर भी वे एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे क्यों हो जाते हैं? क्यों आज़ाद हिन्दुस्तान का नागरिक प्रशासन अपने नागरिकों के ही ख़ून बहाने को तुला हुआ है? और, […]
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