राहुल गांधी देश के पहले व एकमात्र राजनेता हैं जो दिल्ली में मजदूरों से मिले , फुटपाथ पर बैठकर उनसे बातचीत की और उनकी समस्याएं जानी. देश में कोरोना संकट और लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है.इसी के मद्देनज़र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संक्रमण के तमाम खतरों के बावजूद दिल्ली में प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की और फुटपाथ पर बैठ उनका हाल हाल जानने की कोशिश की. उन्होंने भारतीय युवा कांग्रेस और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी से दिल्ली में फंसे प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी की व्यवस्था करने को कहा है.
दिल्ली कांग्रेस के नेता अनिल चौधरी ने कहा कि हमें मालूम पड़ा कि मजदूरों को हिरासत में लिया जा रहा है. राहुल गांधी यहां आए और उन्होंने उनसे मुलाकात की. अनिल चौधरी ने कहा कि हमने पुलिस से बात की और वे सहमत हो गए कि वे दो लोगों को साथ जाने की इजाजत देंगे. हमारे कार्यकर्ता मजदूरों को घर ले जा रहे हैं. हम दो लोगों को साथ ले जा रहे हैं.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है. बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा.राहुल गांधी का ये हमला सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को लेकर था.
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी हाल के दिनों में मोदी सरकार को घेरने के लिए लगातार कोशिशें करते रहते हैं. लॉकडाउन के दौरान ही राहुल गांधी ने सरकार के कई फैसलों पर सवाल उठाए. प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर वह खासतौर से लगातार सरकार पर हमलावर हैं.
हाल ही में उन्होंने मजदूरों के पैदल अपने राज्य की ओर जाने का एक वीडियो साझा किया था. वीडियो के साथ ही राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि अंधकार घना है कठिन घड़ी है, हिम्मत रखिए- हम इन सभी की सुरक्षा में खड़े हैं. सरकार तक इनकी चीखें पहुंचा के रहेंगे, इनके हक की हर मदद दिला के रहेंगे. देश की साधारण जनता नहीं, ये तो देश के स्वाभिमान का ध्वज हैं… इसे कभी भी झुकने नहीं देंगे. राहुल गांधी ने मजदूरों से ऐसे समय मुलाकात की है जब कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण वे संकट के दौर से गुजर रहे हैं. लॉकडाउन के कारण कंपनियां और फैक्ट्रियां बंद हैं, जिसके कारण प्रवासी मजदूरों बेरोजगार हो चुके हैं.