सुप्रीम कोर्ट में गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े कि अग्रिम ज़मानत याचिका ख़ारिज होने के कुछ ही देर बाद सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने कहा कि उनके ऊपर “सबसे अधिक दबाव” ख़ुद को निर्दोष साबित करने का है।पुणे की पुलिस ने भीमा-कोरेगांव गांव में एक जनवरी, 2018 को हुई हिंसा की घटना के बाद गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े और कई अन्य कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ माओवादियों से कथित संपर्क रखने के आरोप में मामला दर्ज किया था।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गौतम और आनंद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के साथ दोनों को तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने दोनों को अपने पासपोर्ट तत्काल जमा कराने का भी निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने छह मार्च को इन दोनों को गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम संरक्षण की अवधि 16 मार्च तक के लिये बढ़ा दी थी।
हम आपके बीच साझा कर रहे हैं गौतम नवलखा का पूरा बयान:
मैं शुक्रगुज़ार हूँ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा और एमआर शाह का जिन्होंने मुझे एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए 3 हफ़्ते का वक़्त दिया है। मैं उच्च वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल का भी शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने हमारा पक्ष रखा। इसके साथ ही मेरे क़रीबी दोस्तों-वकीलों का भी शुक्रिया जिन्होंने अपना क़ीमती वक़्त मेरा पक्ष रखने में लगाया।
अब जबकि मुझे 3 हफ़्ते के अंदर आत्मसमर्पण करना है, मैं ख़ुद से सवाल कर रहा हूँ: क्या मैं ऐसी उम्मीद करने की हिम्मत भी कर सकता हूँ कि मैं मुलज़िम होने के बोझ से आज़ाद हो पाऊँगा, या ये कार्यवाही भी एक साज़िश बन कर रह जाएगी और लंबित पड़े तमाम ऐसे मामलों में शामिल हो जाएगी? क्या सह-मुलज़िम और उनके जैसे और लोगों को अपनी आज़ादी वापस मिल सकेगी? ये सवाल इसलिए कौंधते हैं क्योंकि हम ऐसी वक़्त में जी रहे हैं जहाँ सामाजिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है, और जहाँ सिर्फ़ एक नरेटिव काम कर रहा है, जिसे सार्वजनिक ज़िंदगी के भद्देपन की शह मिली हुई है।
यह क़ानून — यूएपीए– इस भयानक क़ानून के पास यह अधिकार है कि यह किसी संगठन और उसकी विचारधारा पर प्रतिबंध लगा सकता है। लिहाज़ा, सबसे ग़ैर-हानिकारक और जायज़ बातचीत भी सरकार की नज़र में ग़ैर-क़ानूनी बन जाती है। यूएपीए ऐसा भयानक क़ानून बन गया है, जो कार्यवाही या उसके नतीजे का इंतज़ार किए बग़ैर सज़ा दे सकता है।
इसलिए मैं जानता हूँ कि मैं उन हज़ारों में शामिल हो गया हूँ, जिनका उनकी सोच की वजह से शोषण होता है।
मेरे हिसाब से ‘टेस्ट क्रिकेट’, क्रिकेट का सबसे अच्छा फ़ॉर्म है। जहाँ सहन-शक्ति, धैर्य, फ़ेयर प्ले, साहस और खुलने (redemption) से खेल की शोभा बढ़ती है। यही वो गुण हैं, जिनकी उम्मीद मैं ज़िंदगी के इस ‘टेस्ट मैच’ में ख़ुद से करता हूँ। मेरे ऊपर सबसे ज़्यादा दबाव ख़ुद को निर्दोष साबित करने का है।
मेरे दोस्तों, साथियों और परिवार का शुक्रिया, जो इस दौरान मेरे साथ खड़े रहे। मैं आप सब का क़र्ज़दार हूँ।
लियोनार्ड कोहेन की आवाज़ में गाना ‘Anthem’ सुनिएगा।
Ring the Bell,
Which still can ring
Forget your perfect
Offering
There is a crack,
A crack in everything
That’s how light gets in.
गौतम नवलखा
16 मार्च,2020
नई दिल्ली
नोट : गौतम नवलखा अंग्रेजी में लिखा मूल बयान आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
‘I’m Joining Ranks of Thousands Who Are Made to Suffer for Their Convictions’
Agency report