24 फ़रवरी को रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया भर में शुरू हुए खाद्यान्न संकट के चलते लाखों लोगों पर भूख का ख़तरा मंडराने लगा था यूक्रेन के अनाज का निर्यात रुकने से दुनिया भर में गेंहू से बने उत्पादों जैसे ब्रेड और पास्ता का संकट पैदा हो गया था जिससे ये महंगे हो गए थे. इसके अलावा खाना पकाने के तेल और उर्वरकों के दाम भी बढ़ गएथे.
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच दोनों देशों में एक ”मिरर” समझौता हुआ है, जिसके तहत यूक्रेन से काला सागर के ज़रिए अनाज का निर्यात हो सकेगा.
इसे फ़ैसले से युद्ध के बीच यूक्रेन में पड़े हुए लाखों टन अनाज को निर्यात किया जा सकेगा.
रूस ने कहा है कि वह समुद्र के रास्ते अनाज की ढुलाई करने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले नहीं करेगा. वह उन बंदरगाहों पर भी हमले नहीं करेगा, जहाँ से अनाज की सप्लाई हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र ने इसे ऐतिहासिक समझौता क़रार दिया है.
समझौते के तहत यूक्रेन भी कुछ शर्तें मानने को तैयार हो गया है. इसके तहत उसे खाद्यान्न सप्लाई ले जाने वाले जलपोतों की जाँच की अनुमति देनी होगी. जाँच के दौरान यह देखा जाएगा कि कहीं इनके ज़रिए हथियारों की सप्लाई तो नहीं की जा रही है.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस समझौते को लेकर उम्मीद जताते हुए कहा है कि यह युद्ध ख़त्म करने की दिशा में एक अहम क़दम है. अर्दोआन ने कहा कि शांति कायम करने तक वह चुप नहीं बैठेंगे.
ये समझौता रूस या यूक्रेन में नहीं बल्कि तुर्की में हुआ. समझौते के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधि एक मेज़ पर भी नहीं बैठे. पहले रूस के रक्षा मंत्री सेर्गेई शाइगु ने और फिर यूक्रेन के इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री ओलेकसांद्र कुब्राकोव ने ‘मिरर’ समझौते पर हस्ताक्षर किए. मिरर समझौता वो होता है, जिसमें किसी प्रस्ताव को बिना किसी बदलाव के स्वीकार कर लिया जाता है.
सौज- बीबीसी-