पाठक मंच कवर्धा का प्रभाकर चौबे स्मृति में आयोजनः जन पक्षधर साहित्य ही मनुष्य की गरिमा बचा सकता है- जयप्रकाश

वरिष्ठ आलोचक जयप्रकाश ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में सामयिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय हालात के बरक्स प्रभाकर चौबे की रचनात्मकता का प्रभावी विश्लेषण करते हुए उनकी दृढ़ वैचारिकता, आत्मीयता, नागरिक बोध और समान्यवशीलता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बड़ी पूंजी के आगमन ने विचार और तर्क की शक्ति छीनकर व्यक्ति को एक उदासीन नागरिक में बदल दिया है। इन हालात में जन पक्षधर साहित्य ही मनुष्यता की गरिमा कायम रख सकता है।

कवर्धा। पाठक मंच ने रविवार 26 फरवरी की शाम को सर्किट हाउस के अशोक हाल में ख्यात व्यंग्यकार पत्रकार प्रभाकर चौबे की स्मृति में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। विमर्श का विषय था “हमारा नागरिक बोध और प्रभाकर चौबे की रचनात्मकता”। आयोजन में कबीरा खड़ा बाडार में मंच ,पिपरिया- बनमाली सृजन पीठ कवर्धा और प्रभाकर चौबे फाउण्डेशन का विशेष योगदान रहा।  वरिष्ठ आलोचक जयप्रकाश और वरिष्ठ व्यंग्यकार विनोद साव ने मुख्य वक्तव्य दिया। अध्यक्षता साहित्यकार पत्रकार नीरज मनजीत ने की और विशिष्ट अतिथि कार्टूनिस्ट सागर और रचनाकार जीवेश चौबे थे। 

शुरुआत में जीवेश ने विषय की भूमिका पर रखते हुए कहा कि प्रभाकर चौबे का लेखन लोक शिक्षण के उद्देश्य से किया गया महत्वपूर्ण लेखन रहा साथ ही उन्होंने प्रभाकर चौबे फाउंडेशन की विस्तृत जानकारी दी। इसके पश्चात वरिष्ठ आलोचक जयप्रकाश ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में सामयिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय हालात के बरक्स प्रभाकर चौबे की रचनात्मकता का प्रभावी विश्लेषण करते हुए उनकी दृढ़ वैचारिकता, आत्मीयता, नागरिक बोध और समान्यवशीलता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बड़ी पूंजी के आगमन ने विचार और तर्क की शक्ति छीनकर व्यक्ति को एक उदासीन नागरिक में बदल दिया है। इन हालात में जन पक्षधर साहित्य ही मनुष्यता की गरिमा कायम रख सकता है। वरिष्ठ व्यंग्यकार विनोद साव ने कहा कि प्रभाकर चौबे का लेखन अलख जगाने का काम करता है तथा पहले पूंजीपतियों के भी सामाजिक सरोकार होते थे, पर फिलहाल पूंजी के प्रवाह ने मनुष्यता को बड़ी क्षति पहुंचाई है। 

सागर ने युवाओं और विद्यार्थियों में घटते संस्कारों और स्वभाषा के प्रति उनकी उदासीनता का विश्लेषण किया। समयलाल विवेक ने प्रभाकर जी से जुड़े संस्मरण सुनाए। संचालक अजय चन्द्रवंशी ने मनुष्य की संवेदनाओं के निरंतर क्षरण को रेखांकित किया। आखिर में अध्यक्ष नीरज मनजीत ने विषय को समेटते हुए कहा कि प्रभाकर जी अपनी रचनाओं में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की विसंगतियां पकड़ते और विचार संपन्न दृष्टि से उन्हें व्यंग्यलेख में उतार देते। 

कवि एवं प्राध्यापक नरेन्द्र कुलमित्र के संचालन में दूसरे सत्र में पुष्पांजलि नागले, भागवत साहू, सात्विक श्रीवास्तव, तुकाराम साहू,केजवा राम साहू, देवचरण धुरी, रोशन चंद्रवंशी, अजय चंद्रवंशी, समय लाल विवेक, नीरज मंजीत और नरेंद्र कुलमित्र ने कविता पाठ किया।

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