विविध

प्रोफेसर डी. एन. झाः तथ्यात्मक इतिहास लेखन से साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की चुनौती का मुकाबला – राम पुनियानी

February 16, 2021

दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डी. एन. झा ऐसे ही एक इतिहासविद् थे. उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां दी गईं. गत 4 फरवरी को प्रोफेसर झा की मृत्यु न केवल हमारे देश और दुनिया के इतिहासविदों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है वरन् उस आंदोलन के लिए भी […]

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इंटरव्यू- राकेश टिकैत: “कहीं कोई मतभेद नहीं, हमें कोई तोड़ नहीं सकता”

February 9, 2021

जयंत भट्टाचार्य  “अगर सरकार के सामने कोई मजबूरी है तो मैं उसे समझ सकता हूं। लेकिन इसके लिए हमें एक साथ बैठने और उस मजबूरी पर चर्चा करने की जरूरत है।” दिल्ली ने ऐसा किसान आंदोलन इससे पहले अक्टूबर 1988 में देखा था। उसका नेतृत्व महेंद्र सिंह टिकैत कर रहे थे। विजय चौक से लेकर […]

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क्या भाजपा-आरएसएस गठजोड़ को किसानों के विरोध प्रदर्शन से झटका पहुंचा है?

February 5, 2021

अजय गुदावर्ती एकात्म राष्ट्रवाद ने अपना सारा ध्यान मतदाताओं, निर्वाचन क्षेत्रों और स्थानीय मुद्दों पर लगा रखा है, जो राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने वाले जवाबी नैरेटिव को भोथरा बना दे रहा है। कई लोगों के दिलोदिमाग में निश्चित तौर पर यह सवाल गहरा रहा होगा कि क्या दो महीनों से चले आ रहे किसानों के […]

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बंगाल की मिठास के आगे हारेगी कड़वाहट की राजनीति!

February 4, 2021

भास्‍कर गुहा नियोगी इन दिनों होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर एक नये बंगाल को मीडिया अपने छोटे पर्दे पर दिखा रहा है और कहें तो ज़मीनी हकीकत से दूर हाथ में रिमोट थामे कमरों में बैठे समाचार चैनलों में देश को तलाशते हुए लोगों को बता रहा है बंगाल की जमीन खून से लाल […]

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क्रय शक्ति बढ़ाने पर ध्यान नहीं, दिशाहीन है यह बजट! – जस्टिस मार्कंडेय काटजू

February 2, 2021

कृषि करना आवश्यक है, चूंकि आधुनिक कृषि का काम सब्सिडी के बिना नहीं किया जा सकता है, राज्य को सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को उनकी उपज के लिए पर्याप्त पारिश्रमिक मिलता रहे है, क्योंकि घाटे में किसान खेती नहीं करेगा। इस लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी किसानों को दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला […]

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लगातार हो रही हिंसा का यह पैटर्न क्या फासीवाद की आहट है?

January 31, 2021

मुकेश कुमार क्या गुंडों की ये टोलियाँ फासीवादी अभियान के शुरुआती दस्ते हैं? अभी इस तरह की भविष्यवाणी को अनुचित और जल्दबाज़ी कहा जाएगा। बहुत से लोगों को यक़ीन है कि भारत के लोगों का सामूहिक विवेक अभी उस हद तक नहीं गिरा है जहाँ हम मान लें कि लोकतांत्रिक व्यवस्था ढह जाएगी और फासीवाद […]

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गणतंत्र पर काबिज़ होता सर्वसत्तावाद बनाम जन-गण का गणतंत्र

January 27, 2021

उर्मिलेश संवैधानिकता की संपूर्ण अवहेलना और तंत्र में जन-गण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने की शासकीय-ज़िद से उपजा है-आज का यह अभूतपूर्व किसान आंदोलन! भारतीय गणराज्य के इतिहास में इस गणतंत्र दिवस को कई कारणों से उल्लेखनीय और अपूर्व माना जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण है कि हर बार जन-गण की तरफ से […]

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बंगाल का सामूहिक विवेक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भाजपा के मंसूबे

January 23, 2021

अनिल जैन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन बंगाल और बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की चुनावी राजनीति का विश्लेषण कर रहे हैं।   भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा रहा है कि वह ‘पार्टी विद डिफरेंस’ यानी दूसरे दलों से अलग है। उसका यह दावा सही भी […]

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ट्रंप के अमेरिका से क्या मोदी सबक लेंगे?

January 20, 2021

डॉ. अजय कुमार भारत में फ़र्जी ख़बरों और उकसावे वाले भाषणों की प्रवृति और प्रकृति बहुत कुछ वैसी ही है, जैसी अमेरिका में ट्रंप समर्थक लोगों को दिन-रात झूठी और फ़र्जी ख़बरों के माध्यम से संसद भवन पर हिंसक प्रदर्शन के लिए उकसाया जाता था और उन्हें आश्वस्त किया जाता था कि इस हिंसक क़ानूनी […]

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क्या होता यदि फुले दम्पत्ति की मुलाकात मार्क्स से हुई होती? – प्रेम कुमार मणि

January 19, 2021

आज भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जन्मदिन है और हम उनके व्यक्तित्व का स्मरण-अभिनन्दन करते हैं। 1848 ई. में अपने पति महात्मा जोतिबा फुले से प्रेरित हो और साथ मिलकर उन्होंने एक अजूबा स्कूल खोला, जो शूद्रों और स्त्रियों के लिए समर्पित था। उस ज़माने में स्त्रियों और शूद्रों का पढ़ना मना […]

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