पुलकित भारद्वाज एक अंग्रेज अफ़सर ने लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा था, ‘वो बहुत ही अद्भुत और बहादुर महिला थी. यह हमारी खुशकिस्मती थी कि उसके पास उसी के जैसे आदमी नहीं थे’ 15 मार्च 1854. गोधूलि बेला में झांसी का सफेद शाही हाथी घुड़सवार दस्तों के साथ राजमहल की तरफ बढ़ रहा था. आमतौर […]
Read Moreयह सोचते रहना कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हो सकता है, यह एक भ्रम है। इस ख़तरे को नज़रअंदाज़ करना एक शुतुरमुर्ग की भाँति बर्ताव करने जैसा होगा, जैसे कि नेविल चेम्बरलेन ने किया था, जो सोचते रहे कि हिटलर से कोई ख़तरा नहीं है पर जब उन्हें यह एहसास हुआ […]
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