अरुण कुमार त्रिपाठी “आज देश और दुनिया की भलाई इसी में है कि लफ़्ज़े मोहब्बत का दायरा निरंतर फैले और सारे ज़माने को अपने में समेट ले। जबकि राजद्रोह का दायरा निरंतर संकुचित हो…।”जिगर मुरादाबादी से माफ़ी मांगते हुए लफ़्ज़े मोहब्बत के बारे में कही गई उनकी प्रसिद्ध पंक्तियों की विरोधाभासी तुलना राजद्रोह के कानून […]
Read Moreअंजलि मिश्रा भारत जैसे देश में गाय को महत्व मिलना स्वाभाविक है, लेकिन इस मामले में भैंस, बकरी, ऊंट और भेड़ जैसे पशु उससे इतने पीछे कैसे रह गए? नोएडा के एक प्रतिष्ठित स्कूल में हिंदी के शिक्षक हर्षित रवि को जब ‘कामधेनु गोविज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा’ के बारे में पता चला तो उनका कहना […]
Read Moreसूरत में जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 26 फ़रवरी को ख़ुद सूरत पहुंचे और रोड शो किया। रोड शो में उमड़ी भीड़ से केजरीवाल और पूरी पार्टी गदगद दिखाई दी। लेकिन गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कुछ आंकड़े देकर आप पर तंज कसा तो केजरीवाल ने […]
Read Moreअनिल जैन चुनाव आयोग ने चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव का जो कार्यक्रम घोषित किया है, उससे एक बार फिर जाहिर हुआ है कि केंद्र सरकार ने अन्य संवैधानिक संस्थाओं की तरह चुनाव आयोग की स्वायत्तता का भी अपहरण कर लिया है। इसलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा […]
Read Moreभारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा में ले जा रही है. हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी संविधान और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवाद के बीच जो […]
Read Moreविकास नारायण राय किसान आन्दोलन से निपटती या उसे निपटाती अमित शाह की पुलिस के पक्ष में इतना ही कहा जायेगा कि उसने अभी तक गोली न चलाने का संयम दिखाया है। यह केन्द्रीय गृह मंत्री की राजनीतिक विवशता हो तो भी और पुलिस की पेशेवर रणनीति हो तो भी, स्वागत योग्य है। लेकिन कुल […]
Read Moreउर्मिलेश आमतौर पर दलीय-राजनीतिज्ञ इस तरह से सच नहीं बोला करते! लेकिन भाजपा वाले उनके सच बोलने से भी नाराज़ हैं। …लेकिन इतना ही नहीं अपने कहे का जवाब तलाशने के लिए राहुल गांधी को अपने उत्तर-भारतीय समाज और स्वयं अपने दलीय राजनीतिक इतिहास में झांकने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का आलेख केरल […]
Read Moreदिशा रवि की जमानत पर रिहाई जितनी महत्वपूर्ण घटना है, उससे कम महत्वपूर्ण नही है दिल्ली की अदालत के जज धर्मेन्द्र राणा का ऐतिहासिक जजमेन्ट. इन दोनों घटनाओं से कहीं कम नही है दिशा रवि की मां मंजुला का अपनी बेटी का साथ देता बहादुराना बयान! किसान आंदोलन के समर्थन पर मां-बेटी आज भी अडिग […]
Read Moreआशुतोष वार्ष्णेय स्टीवन लेवित्स्की और डैनिएल ज़िब्लाट की किताब ‘हाऊ डेमोक्रेसीज़ डाई’ में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह लोकतांत्रिक रूप से चुने गए लोग ही लोकतंत्र को अंदर से ध्वस्त कर रहे हैं और वह भी क़ानूनी रूप से। क्या यह बात भारत के परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक है? ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ में […]
Read Moreएम.ए. समीर हिंदी साहित्य में महान कथाकार अमृतलाल नागर का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है अगर यह कहा जाए कि उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद की अमर कृति ‘गोदान’ की तुलना का कोई उपन्यास है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह उपन्यास महान साहित्यकार अमृतलाल नागर का ‘मानस का हंस’ है. हिंदी साहित्य […]
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