मुकेश कुमार स्वतंत्रता, समानता और न्याय पर लगातार प्रहार होने के बावजूद कोई सार्थक हस्तक्षेप कहीं से होता नहीं दिख रहा है। इस साल ये चिंताएं बढ़ गई हैं कि कहीं दुनिया एक बर्बर भविष्य में तो दाखिल नहीं हो रही है। यह बर्बरता बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अदम्य भूख का नतीजा है क्योंकि वे अपनी…
उर्दू की प्रगतिशील धारा के कवियों में जनाब वामिक़ जौनपुरी एक रौशन मीनार की तरह दीप्तिमान हैं. वामिक जौनपुरी के ख़्वाब के तजुर्बे बहुत दिलचस्प भी हुआ करते. उन्होंने कई ऐसे ख़्वाबों के बारे में लिखा है जो हर रोज़ रात को वहाँ से शुरू होते, जहाँ सुबह आँख खुलने पर छूट गए थे. उनकी मशहूर…
मीडिया को जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी सामंती ताकतों पर हमला करना चाहिए, धार्मिक कट्टरता की निंदा करनी चाहिए और हमारे समाज का ध्रुवीकरण करने के प्रयास का जमकर विरोध करना चाहिए। मीडिया को लोगों में वैज्ञानिक सोच-विचारों, सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना चाहिए और लोगों के सामने वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के…
रविकान्त भीमा कोरेगांव में महारों के शौर्य के 200वें जलसे के दौरान हुई हिंसा के बहाने हिंदुत्ववादी ताकतें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का दमन करने पर उतारू हैं। पूरी दुनिया के साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जेल में होने वाली क्रूरता की निंदा की है। लेकिन दमन का सिलसिला थम नहीं रहा…
| Powered by WordPress | Theme by TheBootstrapThemes