Breaking News

Year: 2021

2020 : राष्ट्रोन्माद, निरंकुश प्रवृत्तियों के मज़बूत होने का साल

मुकेश कुमार स्वतंत्रता, समानता और न्याय पर लगातार प्रहार होने के बावजूद कोई सार्थक हस्तक्षेप कहीं से होता नहीं दिख रहा है। इस साल ये चिंताएं बढ़ गई हैं कि कहीं दुनिया एक बर्बर भविष्य में तो दाखिल नहीं हो रही है। यह बर्बरता बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अदम्य भूख का नतीजा है क्योंकि वे अपनी…

Read more

वामिक़ जौनपुरीः भूका बंगाल नज़्म होने से पहले का वह ख़ौफ़नाक ख़्वाब

उर्दू की प्रगतिशील धारा के कवियों में जनाब वामिक़ जौनपुरी एक रौशन मीनार की तरह दीप्तिमान हैं. वामिक जौनपुरी के ख़्वाब के तजुर्बे बहुत दिलचस्प भी हुआ करते. उन्होंने कई ऐसे ख़्वाबों के बारे में लिखा है जो हर रोज़ रात को वहाँ से शुरू होते, जहाँ सुबह आँख खुलने पर छूट गए थे. उनकी मशहूर…

Read more

क्यों और कैसे सरकार का भोंपू बन गया मीडिया? – जस्टिस मार्कंडेय काटजू

मीडिया को जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी सामंती ताकतों पर हमला करना चाहिए, धार्मिक कट्टरता की निंदा करनी चाहिए और हमारे समाज का ध्रुवीकरण करने के प्रयास का जमकर विरोध करना चाहिए। मीडिया को लोगों में वैज्ञानिक सोच-विचारों, सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना चाहिए और लोगों के सामने वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के…

Read more

भीमा कोरेगाँव: क्या दलित नए मिथक गढ़ेगा?

रविकान्त भीमा कोरेगांव में महारों के शौर्य के 200वें जलसे के दौरान हुई हिंसा के बहाने हिंदुत्ववादी ताकतें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का दमन करने पर उतारू हैं। पूरी दुनिया के साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जेल में होने वाली क्रूरता की निंदा की है। लेकिन दमन का सिलसिला थम नहीं रहा…

Read more