रमा शंकर सिंह भारत का संविधान समाज के सभी वर्गों के साझा बलिदानों और संघर्षों की दास्तान है। आज के दिन हमें उसका जश्न मनाना चाहिए। यदि आप भारत के संविधान सभा की बहसों को पढ़ें तो पाएंगे कि यह लगभग 4250 मुद्रित पृष्ठों में फैली हुई एक बातचीत है जहां आप भारत के नेताओं […]
Read Moreभारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में बैंक स्वामित्व पर दिशानिर्देशों से सम्बंधित अपने एक आंतरिक कार्य समूह (आइडब्लूजी) की रिपोर्ट जारी की है जिसमें बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय कॉरपोरेट प्रतिष्ठानों के प्रवेश का प्रस्ताव रखा है। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और विरल आचार्य ने एक संयुक्त पर्चा लिखकर इस प्रस्ताव के […]
Read Moreकोरोना महामारी ने इस समाज की सीवन उधेड़ दी है। लेकिन हम शायद ही इस पर ठहर कर विचार करने का धीरज दिखलाएँगे। छात्र का अर्थ हमारे लिए एक धड़कती हुई ज़िंदगी नहीं है जिसे बचाकर रखना ही किसी के लिए भी सबसे बड़ा दायित्व होना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा लेडी श्रीराम कॉलेज की एक […]
Read Moreगोवा के लॉ स्कूल में सहायक प्राध्यापक शिल्पा सिंह, दरअसल, उन पितृसत्तात्मक प्रतीकों का विरोध कर रहीं हैं जो हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं का भाग बन गईं हैं और जिन्हें विभिन्न धार्मिक समुदायों द्वारा अपनी महिलाओं पर थोपा जाता है. ये काम शिल्पा तब कर रहीं हैं जब हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी […]
Read Moreस्त्रियों के कुल वोटों का अंदाज़ा लगाया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कुल 38 फीसदी महिला वोटरों ने एनडीए के चुनाव चिह्नों के बटन दबाए, जबकि महागठबंधन के चुनाव चिह्नों के बटन दबाने वाली स्त्रियों का प्रतिशत 37 फीसदी रहा। केवल एक फीसदी का अंतर कहीं से यह साबित नहीं करता कि […]
Read Moreदेश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुजराती पारसी फिरोज गांधी से शादी की थी, इंदिरा इलाहाबाद से ही फिरोज को जानती थीं, लेकिन ब्रिटेन में रहने के दौरान दोनों की अकसर मुलाकात होती. फिरोज उस वक्त वहां लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ रहे थे. 16 साल की उम्र में ही इंदिरा फिरोज […]
Read Moreकेबीसी के मेजबान और कार्यक्रम से जुड़े अन्य व्यक्तियों के विरूद्ध हिन्दुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए एक एफआईआर दर्ज करवाई गई है. यह भी दिलचस्प है कि जो लोग मनुस्मृति दहन की चर्चा मात्र को हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचाना निरूपित करते हैं वे ही पैगम्बर मोहम्मद का अपमान करने वाले […]
Read Moreदिल्ली के बाहर भी कुछ लोगों ने कहा कि वे तो पटाखे फोड़ेंगे ही, सर्वोच्च न्यायालय कुछ भी क्यों न कहे। जब उनसे कहा गया कि वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि कोरोना महामारी और बढ़ते प्रदूषण के बीच पटाखे और नुक़सानदेह साबित होंगे तो जवाब आया, “आप लोग बकरीद पर कुछ क्यों नहीं बोलते?” […]
Read Moreअनिल अंशुमन सनद हो कि पिछले कई दशकों से झारखंड के आदिवासी समुदाय व उनके संगठन अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर निरंतर आवाज़ उठाते रहें हैं। सत्ताधारी दलों ने भी हमेशा इसे अपने चुनवी मुद्दों में शामिल भी किया लेकिन इससे राजनीति ही अधिक की गयी। सचमुच 11 नवंबर 2020 का […]
Read Moreअमेरिका के प्रतिष्ठित टेलीविज़न चैनलों पर हमने श्वेत और अश्वेत पत्रकारों और विश्लेषकों को निःसंकोच रोते हुए देखा। उन्होंने निष्पक्षता का ढोंग नहीं रचा जो हमारे पत्रकार और बौद्धिक पालते हैं और खुद को “अंपायर” समझकर दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की कवायद करते हैं। अमेरिकियों ने साफ कहा कि पक्ष तो एक […]
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