आलेख

गाँधी: विद्रोह की आध्यात्मिकता- नन्दकिशोर आचार्य

October 2, 2020

      मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है – महात्मा गाँधी के इस प्रसिध्द कथन का वास्तविक तात्पर्य क्या है? क्या इस का आशय उनकी निजी जीवन शैली से है अर्थात् अपरिग्रह प्रेरित न्यूनतम आवश्यकताओं पर आधारित सादा जीवन-शैली से अथवा इस कथन को उनके सार्वजनिक जीवन के सन्दर्भ में व्याख्यायित किया जाना चाहिए। महात्मा गांधी […]

Read More

भारतीय लोगों की ग़ुलामी की मानसिकता नहीं है – राम पुनियानी

October 1, 2020

1947 में भारत के लोगों ने वतन को आज़ाद कराने के लिए अंग्रेज़ों को उखाड़ फेंका था। अब उनके प्रतीक प्राचीन समय के राजा नहीं हैं, बल्कि वे हैं जिन्होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया था। जब सामराजी राजनीतिक सिद्धांतकार जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास को “हिंदू”, “मुस्लिम” और ब्रिटिश काल में बांटा था तो […]

Read More

भगत सिंह: …जो मुक्त चिंतन को बर्दाश्त न कर सके, तो वह भाड़ में जाए– अपूर्वानंद

September 28, 2020

आज यानी 28 सितम्बर को शहीद भगत सिंह का जन्मदिन है। एक सवाल कौंधता है। भगत सिंह के विचारों में इतनी स्पष्टता कैसे आई? किताबों से? किताबों से उनका गहरा लगाव था। भगत सिंह के मित्रों में से एक शिव वर्मा ने लिखा है कि भगत सिंह हमेशा एक छोटा पुस्तकालय लिए चलते थे। भगत […]

Read More

क्या आर्थिक मंदी के मौजूदा हालात में देश मनमोहन सिंह को अलग नजरिये से देखने लगा है?

September 27, 2020

हिमांशु शेखर मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था कि इतिहास उनके साथ थोड़ी नरमी बरतेगा. ऐसे में यह जानना रोचक है कि अब उन्हें कैसे याद किया जा रहा है? आज जब देश में आर्थिक मंदी की मार बढ़ती जा रही है, खासकर कोरोना संकट के बाद जब जीपीडी में ऐतिहासिक सिकुड़न की चर्चा […]

Read More

नेताओं के लिए अपमानजनक शब्द कहने मात्र से राजद्रोह का केस नहीं बनता: जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट

September 26, 2020

विप्लव अवस्थी राजद्रोह का यह कानून अंग्रेजों के जमाने का है। तब अंग्रेज इस कानून का इस्तेमाल उन भारतीयों के ख़िलाफ़ करते थे, जो अंग्रेजों की बात मानने से इनकार कर देते थे। ये कानून 1870 में वजूद में आया था। बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी को भी राजद्रोह का आरोपी बनाया गया था। […]

Read More

मार्च से जून के बीच सड़क दुर्घटनाओं में 29,415 की मौत, लेकिन कौन थे ये लोग?- राजू साजवान

September 25, 2020

सरकार ने संसद को बताया कि लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी श्रमिक सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, उनके पास इसके आंकड़े नहीं हैं लेकिन 22 सितंबर 2020 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने जानकारी दी कि मार्च से जून 2020 के दौरान 81,385 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 29,415 […]

Read More

किसान बनाम पूँजीवाद: जातिगत राजनीति के नवउदारवादी हत्यारे

September 23, 2020

प्रबुद्ध सिंह जब किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिलता है तो क्या उसी अनुपात में यह भूमिहीन किसानों (एक बार फिर से इसमें अधिकतर दलित और आदिवासी आबादी शामिल है) की आय पर प्रतिकूल असर डालने वाला साबित नहीं होता है? जब एक बार खेतीबाड़ी के “संपूर्ण पतन” के चलते ग्रामीण आय पूरी […]

Read More

आतंकवाद की रोकथाम के नाम पर बना ‘यूएपीए’ नागरिक अधिकारों को आतंकित करने वाला क़ानून है!

September 19, 2020

अजय कुमार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के आंकड़ों के मुताबिक यूएपीए से जुड़े तकरीबन 67 फ़ीसदी मामलों में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। यानी बहुत दिनों तक जेल की सलाखों के अंदर रखने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।  हमारे देश का संविधान कहता है कि राज्य नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम […]

Read More

‘‘यूपी में 5 साल तक संविदा नौकरी के प्रस्ताव से घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है सरकार’’- रवीश कुमार

September 16, 2020

उत्तर प्रदेश का कार्मिक विभाग प्रस्ताव ला रहा है कि समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्ती अब 5 साल के लिए संविदा पर होगी. पांच साल के दौरान जो छंटनी से बच जाएंगे उन्हें स्थायी किया जाएगा. अगर यह ख़बर सही है तो इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए. अख़बार में छपी ख़बर के अनुसार उत्तर प्रदेश […]

Read More

लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु भी क्यों न 21 वर्ष हो!

September 15, 2020

नाइश हसन 18 वर्ष की आयु में लड़की का विवाह करने का अर्थ है कि हम उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित कर रहे हैं। क्या हम लड़कियों को मात्र 12वीं तक ही पढ़ाना चाहते हैं? शिक्षित भारत बनने के लिए बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त होना बहुत जरूरी है। विज्ञान, तकनीकी, व संचार […]

Read More