कहा जा सकता है कि कवि या उपन्यासकार की तरह ही पत्रकार की पहली दिलचस्पी जीवन और लोगों में होनी चाहिए। जैसे साहित्य के बारे में कहा जाता है कि वह सबसे अधिक वेध्य का पक्षधर होता ही है, वैसे ही पत्रकारिता अनिवार्यतः उसकी तरफ़ से की जाती है। यह कहना अनैतिक है कि पत्रकारिता […]
Read Moreलॉकडाउन 3.0 के साथ देश के ज्यादातर हिस्सों में शराब की दुकानें खुल जाएंगी. इसके साथ ही बिड़ी-सिगरेट-तंबाकू-गुटखा की दुकानें भी खुल जाएंगी. ये आदेश ग्रीन और ऑरेंज जोन तथा ग्रामीण इलाकों के लिए है. इसके अलावा रेड जोन में भी हॉटस्पॉट या कंटेनमेंट एरिया के बाहर इन दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी गई है. रेड जोन […]
Read Moreकोरोना विषाणुओं ने पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया है । अपने शहर को भी इसी संकट में देख रहा हूँ । प्रकृति के साथ, अपने शहर के साथ खिलवाड़ करने की सज़ा भी है यह । अपनी अरपा को लगभग गंवा चुके हम लोग तो जैसे कुछ भी समझने को तैयार ही नहीं […]
Read Moreअपने इस सूनसान हुए शहर में बरसों पहले टुंगरूस की आवाज़ गूंजती थी । कुएं स्वच्छ रखने की कला और कड़े श्रम में माहिर टुंगरूस को सत्यदेव दुबे मुंबई ले गए थे । ले गए यानी टुंगरूस के पात्र को । नसीरुद्दीन शाह ने उस पात्र को अभिनीत किया था […]
Read Moreभारतीय मीडिया बालू के ढेर में खड़ा चमकता हुआ बुर्ज है. कोरोना की आंधी ने इसके नीचे की रेत को उड़ाकर इसे ज़मींदोज कर दिया है. यह रेत बनी थी विज्ञापनों से. मंदी (जो कि दरअसल महामंदी ही थी, मगर कोई बोल नहीं रहा था) और महामारी के दुर्योग ने विश्व की सबसे बड़ी मीडिया […]
Read Moreरोजा लक्जमबर्ग ने मार्क्स के अध्ययन और पूंजीवादी व्यवस्था या उत्पादन पद्धति के उनके विश्लेषण के परिणामों पर लिखते हुए यह टिप्पणी की थी कि पूंजीवाद अपने चरम विकास की स्थिति में दो ही दिशाओं में जा सकता है : समाजवाद या बर्बरतावाद। स्वयं मार्क्स ने कभी भी इतिहास और भविष्य को एक निश्चित अंतर्निहित […]
Read Moreबंबई उच्च न्यायालय ने सरकार को समाज के जाने माने लोगों की मदद लेने की सलाह दी। मैं बंबई उच्च न्यायालय को कहना चाहता था कि इस समाज में अब कोई ऐसा बचा नहीं। सबकी प्रतिष्ठा रौंद डाली गई है। वरना यह कैसे हुआ कि जो विश्व भर में मान्य हैं, वैसे तीन अर्थशास्त्री, अमर्त्य […]
Read Moreविगत 22 अप्रैल 2020 को इंकलाब के महानायक कॉमरेड लेनिन की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ थी। इस मौके पर दिल्ली स्थित जोशी-अधिकारी इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का संयोजन इंदौर से जया मेहता और विनीत तिवारी ने तथा दिल्ली से विनोद कोष्टी और मनीष श्रीवास्तव ने किया। वेबिनार का विषय था […]
Read Moreराजस्थान की पिछली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गरीबों को सहायता देने से जुड़ी अनेक सरकारी योजनाओं को कतरने की तैयारियां कर रही थीं। उनका कहना था कि वह ऐसा इसलिए करना चाहती हैं ताकि, ”लोग शासन पर बहुत ज्यादा निर्भर न हो जाएं।” अगर वह पहले से जारी योजनाओं का पुनर्गठन ही कर रहीं होतीं या […]
Read MoreBy (- रिचर्ड महापात्रा-) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को पंचायती राज दिवस पर संबोधित किया। यह संबोधन सालाना संबोधन की तरह सामान्य नहीं है। मोदी उन्हें तब संबोधित कर रहे हैं जब भारत की स्थानीय सरकार कोविड-19 महामारी से लड़ाई के बीच में है, और यह महामारी विध्वंसक स्तर तक […]
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