आलेख

सोशल मीडिया: असहमति पर बढ़ती दबिश

February 20, 2021

ज्योतिका सूद, लोला नायर और लक्ष्मी देबराय  “सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी से यह संदेश गया कि सरकार को असहमति के सुर मंजूर नहीं” सोशल मीडिया हमारे समय का नया युद्ध क्षेत्र ही नहीं, यह अपने आप में एक हथियार भी है। इसकी तुलना बारूद से करते हैं। चीन ने अनायास बारूद का ईजाद […]

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वे कौन से छह कारण हो सकते हैं जिनके चलते दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई होगी?- रामचंद्र गुहा

February 19, 2021

हाल में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है ये सवाल दिशा रवि की गिरफ्तारी की खबर के बाद मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछे. भारत के कई दूसरे घरों में भी ऐसे सवाल निश्चित रूप से पूछे गए होंगे. बेंगलुरू की इस युवती की गिरफ्तारी और पुलिस हिरासत के […]

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कृषि क़ानून कारपोरेट के फायदे के लिये या कोई और योजना है?

February 17, 2021

रविकान्त अटल-आडवाणी की बीजेपी पर लगे गांधीवादी समाजवाद के मुखौटे को नरेंद्र मोदी ने उतार फेंका। हिंदुत्व मोदी-शाह की बीजेपी का खुला एजेंडा बना। खुलेआम सांप्रदायिक राजनीति के दम पर एक कट्टर हिंदुत्व की छवि के रूप में नरेंद्र मोदी का उभार हुआ। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पूँजीपतियों के साथ व्यक्तिगत दोस्ती की। […]

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भारत में ज्ञान की मौत पर आँसू कौन बहायेगा!- अपूर्वानंद

February 15, 2021

शिक्षा संस्थानों पर लगाम लगाने के नए सरकारी फरमान की हिंदी की अखबारी दुनिया में कोई चर्चा नहीं है। क्या इसपर हम ताज्जुब करें? आखिर हिंदी अखबारी रवैया हिंदी पाठकों को बेखबर करने का ही रहा है। ज्ञान के संसार में क्या हो रहा है, किस किस्म की उथल-पुथल है, इसपर कोई चर्चा हिंदी मीडिया […]

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ग्यारह साल बाद शाहिद आज़मी की याद – सुभाष गाताडे

February 12, 2021

ऐसा वक्त आता है जब खामोशी गद्दारी बन जाती है… इतिहास इस बात को दर्ज करेगा कि सामाजिक संक्रमण के इस दौर में सबसे बड़ी त्रासदी यह नहीं थी कि बुरे लोगों की आवाज़ बुलन्द थी बल्कि यह कि अच्छे लोग पूरी तौर पर मौन थे। वक्त की यह मांग है कि हम कमजोरों, बेजुबानों […]

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2014 के बाद से लोकतंत्र के सूचकांक पर लुढ़कता भारत

February 11, 2021

हरजिंदर 2014 वह साल था जब इकाॅनमिस्ट ने यह मान लिया था कि भारत पूर्ण लोकतंत्र होने के काफ़ी क़रीब पहुँच गया है। यही वह साल था जब भारत में बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। 2014 के बाद से भारत के अंक गिरने शुरू हो गए। 2019 में वे सात […]

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एक आंतरिक मामला या एक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी?

February 10, 2021

डॉ. अजय कुमार देश की कुछ मशहूर हस्तियों और खेल सितारों को अगर ‘आंतरिक मामले’ और ‘अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी’ के बीच के बुनियादी अंतर को समझने की अच्छी क्षमता होती तो उनका स्टैंड इन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ कुछ और होता और वे आंतरिक मामले की आड़ में विश्व भर में उठ रही लोकतंत्र समर्थक आवाज़ों […]

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हिमालय से आपराधिक छेड़खानी के नतीजे तो भुगतने ही होंगे!

February 9, 2021

अनिल जैन उत्तराखंड समेत समूचे हिमालयी क्षेत्र में बरसात के मौसम में तो बादल फटने, ग्लेशियर टूटने, बाढ़ आने, ज़मीन दरकने और भूकंप के झटकों की वजह से जान-माल की तबाही होती ही रहती है। ऐसी आपदाओं का कहर कभी उत्तराखंड, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तो कभी पूर्वोत्तर के राज्य अक्सर झेलते रहते हैं। लेकिन यह […]

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सरकारी ताक़त, हिंसा का सामना करने के लिए किसानों को अकेला छोड़ दें?- अपूर्वानंद

February 8, 2021

अंबानी और अडानी के अलावा जिनकी लार भारतीय खेती पर टपक रही है, वे हैं अमेज़न, वॉलमार्ट, फ़ेसबुक, कारगिल, आर्चर डेनियल्स मिडलैंड्स, लुई ड्रायफस, गूगल, बुंगे जैसी कंपनियाँ। इनके भारतीय सहयोगी अडानी और अंबानी हैं। भारत के सबसे अमीर और छठे सबसे धनी कॉरपोरेट नाम। ये सब भारत में भारी निवेश कर रहे हैं। “मेरी […]

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बीजेपी का चौरी चौरा प्रेम हास्यास्पद है!

February 6, 2021

रविकान्त लाल किले की हिंसा की आड़ में सरकार बर्बरतापूर्वक किसान आन्दोलन को कुचलकर खत्म करना चाहती थी। लेकिन राकेश टिकैट सहित अन्य किसानों के गांधीवादी सत्याग्रह के कारण ही आज दोगुनी ताक़त के साथ किसान आन्दोलन खड़ा है। आश्चर्यजनक रूप से अंग्रेजी हुक़ूमत के नज़रिए से देश चलाने वाली बीजेपी सरकार चौरी चौरा के […]

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