दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्विद्यालय की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत अर्जी मंजूर कर ली.
हालांकि पूर्व में दिल्ली पुलिस ने हाइकोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट पेश की जिसमें पुलिस की तरह से सफूरा की जमानत का यह कहकर विरोध किया था कि किसी आरोपी को केवल इस आधार पर जमानत नहीं मिल सकती क्योंकि वह गर्भवती है। पुलिस ने कहा है कि पिछले 10 सालों में तिहाड़ में 39 महिला कैदियों की डिलिवरी हो चुकी है। बाद में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि सफूरा को मानवीय आधार पर छोड़ने को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है. गौरतलब है कि सफूरा जरगर पर दिल्ली हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. उनके प्रेग्नेंट होने की सूचना के बाद उन्हें जमानत पर रिहा करने की मांग भी उठी थी. वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. सफूरा को 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. सफूरा जरगर को अत्यधिक कठोर कानून UAPA के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है. उन्हें दिल्ली पुलिस ने फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने को लेकर गिरफ्तार किया था. पुलिस ने कहा था कि इन भाषणों से दिल्ली में हिंसा भड़की.
सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कि जमानत अवधि के दौरान सफूरा जरगर दिल्ली छोड़कर कहीं न जाएं. इस पर जामिया की छात्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्य रामकृष्णन ने बताया कि सफूरा को अपने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ सकता है. केंद्र की स्वीकृति को देखते हुए जस्टिस राजीव शखधर की पीठ ने 10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर सफूरा जरगर को सशर्त जमानत दे दी.
एजेंसियां