कोरोना संकट: संसद के दोनों सदन भले ही स्थगित मगर 11 अध्यादेश ला चुकी है मोदी सरकार

राहुल संपाल

कोरोना महामारी के दौर में संसद के दोनों सदन भले ही स्थगित हैं लेकिन विधायिका का काम थमा नहीं है. 23 मार्च के पहले यानि लॉकडाउन के बमुश्किल सप्ताह भर बाद ही सरकार ने अध्यादेशों के जरिए पुराने कानूनों में जरूरी रद्दोबदल का सिलसिला शुरू कर दिया था. 31 मार्च को पहला अध्यादेश लाने के साथ शुरू हुआ दौर अब भी जारी है. 24 जून तक केंद्र सरकार कुल 11 अध्यादेश ला चुकी है.

इस बीच अध्यादेशों के जरिए मं​त्रियों के वेतन भत्तों में कमी से लेकर, टैक्स प्रणाली के पुराने कानूनों में सुधार, किसानों के हित के कानून और स्वास्थ्यकर्मियों और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे महत्वपूर्ण फैसले संसद के दरवाजे बंद होने के बावजूद हो चुके है. कोरोना संकट फिलहाल अभी जारी है और सरकार आने वाले दिनों में कई और नए कानून और जरूरी बदलाव अध्यादेशों के जरिए कर सकती है.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘उचित समय पर संसद का मानसून सत्र होगा. कोविड-19 को देखते हुए जो भी सुरक्षा के मापदंड होंगे उसे हम अपनाएंगे और समय से सत्र को चलाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘आज दिनांक तक कुल 11 महत्वपूर्ण अध्यादेश आए हैं. भविष्य में ओर आ सकते हैं. हमारी कोशिश होगी सभी को पारित करवाएं.’

हाल ही में 24 जून को कैबिनेट ने 11वें अध्यादेश की मंजूरी दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में अध्यादेश के जरिए देश के सभी 1540 कोऑपरेटिव और मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों को रिजर्व बैंक के दायरे में लाने का फैसला किया गया. सभी बैंकिंग नियम इन कोऑपरेटिव बैंकों पर लागू होंगे. इससे 8 करोड़ 60 लाख खाताधारकों की जमा राशि सु​रक्षित होगी. इन बैंकों में करीब 4.84 लाख करोड़ रुपए जमा है.

कोविड के कारण सरकार अध्यादेश का सहारा ले रही है

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च (पीआरएस) संस्था के प्रमुख चक्षु रॉय ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि इतने अध्यादेश पहली बार आए हैं. कोविड-19 का दौर है ऐसे में सरकार अध्यादेश का सहारा ले रही है.’

उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए ही सरकार कोई अध्यादेश लाती है. छह महीने के भीतर सरकार को इन अध्यादेशों को संसद से पारित करवाना होगा. हमारा संविधान भी कहता है कि अगर संसद का सत्र नहीं चल रहा हो और सरकार को कानून बनाने की जरूरत पड़ती है तो वे अध्यादेश ला सकती है.’

रॉय ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा होता है तो अध्यादेश को रिप्लेस कर एक बिल सदन में लाया जाता है. इसमें सरकार कुछ जोड़ भी सकती है और घटा भी सकती है.

उन्होंने कहा कि सदन में बहस और वोटिंग के बाद ये बिल पास होकर कानून की शक्ल ले लेता है. बिल पास होने के बाद अध्यादेश खत्म हो जाता है. लेकिन कई बार यह भी देखने में आया कि सरकार अगर कोई अध्यादेश लाई है और वह संसद के सत्र में भी पास नहीं हो सका है तो अध्यादेश को फिर से रिइश्यू करना होता है.

पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने दि​प्रिंट को बताया, ‘नियम के अनुसार जब संसद का सत्र स्थगित होता है तब से छह माह के अंदर संसद का नया सत्र बुलाया जाना चाहिए. दो सत्र के बीच छह माह से ज्यादा की अवधि नहीं होनी चाहिए.’

आचार्य ने कहा कि मार्च में बजट सत्र स्थगित हुआ है तो सरकार सितंबर तक नया सत्र बुला सकती है. आमतौर पर जुलाई के तीसरे हफ्ते से लेकर अगस्त के तीसरे या चौथे हफ्ते तक संसद का मानसून सत्र होता है.

सरकार द्वारा इस बीच लाए गए अध्यादेश

– उपभोक्ता मामले एवं खाद्य वितरण मंत्रालय का अनिवार्य वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 5 जून, 2020 को जारी किया गया. उक्त अध्यादेश अनिवार्य वस्तुएं एक्ट 1955 में संशोधन करता है.

– कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का ही किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को 5 जून, 2020 को जारी किया गया.

– कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 को 5 जून 2020 को जारी किया गया.

– वित्त मंत्रालय के इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्टसी संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 5 जून 2020 को जारी किया गया. ये अध्यादेश इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्टसी संहिता, 2016 में संशोधन करता है.

– स्वास्थ्य मंत्रालय के होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश 2020 को 24 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया. उक्त अध्यादेश होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट 1973 में संशोधन करता है.

– स्वास्थ्य मंत्रालय के इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश 24 अप्रैल 2020 को जारी किया गया. उक्त अध्यादेश इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1970 में संशोधन करता है.

– स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश को 22 अप्रैल 2020 को जारी किया गया. ये अध्यादेश महामारी रोग एक्ट 1897 में संशोधन करता है. इसमें खतरनाक महामारियों की रोकथाम से संबंधित प्रावधान है. इस अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों को पहुंचे जख्म तथा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या उसे नष्ट करने के लिए मुआवजे की व्यवस्था की गई है.

– संसदीय कार्य मंत्रालय से जुड़ा मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 9 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया. ये अध्यादेश मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन करता है.

– संसदीय कार्य मंत्रालय का संसद सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 7 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया. यह अध्यादेश संसद सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन एक्ट, 1954 में संशोधन करता है.

इन दो अध्यादेशों में संसद के सभी सदस्यों के वेतन और पेंशन एक साल के लिए 30 फीसदी तक घटा दिया गया है. यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई है. कटौती के दायरे में प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं. इसके अलावा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल भी अपनी स्वेच्छा से 30 फीसदी कम सैलरी लेंगे.

यह सारा पैसा भारत के समेकित कोष (कॉन्सॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया) में जाएगा. वहीं सरकार ने सांसद निधि को भी दो साल तक के लिए स्थगित कर दिया है. इसका उपयोग भी कोरोना से लड़ने के लिए होगा.

– सरकार ने वित्त मंत्रालय के टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 को 31 मार्च, 2020 को जारी किया.

मानसून सत्र को लेकर दोनों सदनों की तैयारियां तेज

कोविड-19 के दौर में संसद का मानसून सत्र कैसे चले इसे लेकर बैठकों का दौर जारी है. राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू लगातार बैठक कर रहे हैं. दोनों सदनों में कैसे कार्यवाही संचालित होगी इसे लेकर सचिवालय की ओर से फिलहाल बैठकों का दौर जारी है. फिलहाल सरकार की तरफ से अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है.

सौज- दप्रिंट

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