तारीख 9 नवंबर 1989, इस दिन अयोध्या में राममंदिर के वास्ते भूमिपूजन और शिलान्यास दोनों हुआ था. भूमि पूजन के बाद ही किसी मकान की नींव रखी जाती है. वो तो हो चुका है मान्यवर. फिर धार्मिक अनुष्ठान और हिन्दू रीति रिवाज से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी? क्रेडिट लेने की बीमारी से बाहर नहीं निकलना चाहते?
तारीख 9 नवंबर 1989, इस दिन अयोध्या में राममंदिर के वास्ते भूमिपूजन और शिलान्यास दोनों हुआ था. भूमि पूजन के बाद ही किसी मकान की नींव रखी जाती है. वो तो हो चुका है मान्यवर. फिर धार्मिक अनुष्ठान और हिन्दू रीति रिवाज से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी? क्रेडिट लेने की बीमारी से बाहर नहीं निकलना चाहते?
आप भक्तों को बताएँगे, “देखो 5 अगस्त का ऐतिहासिक दिन. 2019 में आज ही के दिन अनुच्छेद 370 निरस्त किया था.” उद्देश्य बस यही है, ढोल इतना पीटो ताकि कोरोना से जनित तमाम समस्याएं, 30 हज़ार के आंकड़े छूने वाली मौतें, बेरोज़गारी, देश के आर्थिक सवाल नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बनकर रह जाएँ.
मोदी जी 31 साल पहले उस पल की चर्चा नहीं करेंगे. जब देश के दो लाख गांवो से ईंटें अयोध्या आईं थीं। 9 नवम्बर 1989 को राम मंदिर के शिलान्यास के लिए अयोध्या में विहिप के कामेश्वर चौपाल ने पहली ईंट रखी थी। उस वक्त कामेश्वर चौपाल विहिप के संयुक्त सचिव हुआ करते थे। वे बाद में बिहार से बीजेपी के एमएलसी भी रहे। कामेश्वर चौपाल राम विलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं, हालांकि तब उनको हार मिली थी।
कामेश्वर चौपाल श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार के संजोयक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के वक्त राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। कामेश्वर चौपाल ने तब कहा था, “जैसे श्रीराम को शबरी ने बेर खिलाया था, वैसा ही मान-सम्मान मुझे भी मिला है।”
अयोध्या में भूमि पूजन और शिलान्यास करने वाले कामेश्वर चौपाल बिहार के सुपौल से हैं. वे अनुसूचित जाति से हैं. दोबारा भूमिपूजन से क्या दलित समाज और बिहारियों की भावनाएं आहत नहीं होती हैं?
पुष्परंजन वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं। यह टिप्पणी उनकी फेसबुक वाल से साभार