सारा विश्व कोरोना महामारी के चलते जिंदगी और मौत की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहा है। विश्व की सारी सरकारें अपने इस भयंकर महाहारी से मुकाबला करने पूरी ताकत से जूझ रही हैं। छत्तीसगढ़ में भी इस महामारी की दस्तक एकदम शुरुवाती दौर में ही सुनाई दे गई थी । मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने एकदम पहली दस्तक के साथ ही एहतियात के लिए कमर कस ली । पहले पॉजिटिव केस मिलने के तत्काल बाद ही देश में लॉक डाउन होने के लगभग दो दिन पूर्व ही प्रदेश में सबसे पहले लॉक डॉउन किया गया । विगत 2 हफ्ते से पूरा देश लॉक डॉउन में है । इस बात पर गौर करना होगा कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय स्तर पर सामाजिक दूरी बनाए ऱखने के कड़े आदेश जारी कर दिए गए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सकारात्मक सोच और एम्स की पूरी टीम के साथ बेहतर तालमेल व सामंजस्य बनाकर ठोस योजना के साथ काम किया गया । लगातार मॉनिटरिंग का ही परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत कोरोना संक्रमित ठीक होकर घर जा चुके हैं । शुरुवाती एहतियात के चलते छत्तीसगढ़ में कोरोना का फैलाव काफी हद तक सीमित कर दिया गया । इसी का परिणाम है कि आज देश में छत्तीसगढ़ प्रथम 10 राज्यों में शामिल हुआ है ।
सभी विशेषज्ञ और जानकार सोसल डिस्टैंस यानि सामाजिक दूरी को ही कोरोना से बचने का अब तक सबसे बेहतर व कारगर उपाय बता रहे हैं । इसके लिए ही पूरे देश में लॉक डॉउन किया गया है और छत्तीसगढ़ में भी इस दिशा में काफी सराहनीय क्रियान्वयन किया गया । इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं और संक्रमण के फैलाव पर काफी हद तक काबू पाने में सफलता मिली है । इन सबके बावजूद अभी खतरा टल गया ऐसा नहीं माना जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के मुताबिक संक्रमण के प्रभाव को खत्म करने में अभी एक लम्बा वक्त लगेगा । इस बीच पूरे विश्व में सामाजिक दूरी पर गंभीरता से लगातार अमल करने पर जोर दिया जा रहा है।
एम्स के डायरेक्टर ने हाल ही में चेतावनी दी है कि अब और ज्यादा सावधानी की जरूरत है । उनके अनुसार भारत में कोरोना का संक्रमण एक सरीखा का नहीं है । अलग अलग इलाकों में अलग अलग प्रभाव देखने में आ रहा है । उनके अनुसार जिन राज्यों में सोशल डिस्टैंस पर सख्ती से अमल किया जा रहा है वहां बेहतर परिणाम मिल रहे हैं । मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के प्रयासों का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में सामाजिक दूरी पर कड़ाई से अमल कर प्रदेश में इस महामारी का फैलाव रोकने में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल हुई है । अभी 14 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में परिस्थितियों का अवलोकन कर आगे की रणनीति तय की जाएगी । लॉक डॉउन खोलने के सुझावों पर राष्ट्रीय स्तर पर विचार किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों की राय पर ही इन सुझावों पर अमल किया जाएगा । सवाल ये है कि क्या 14 तारीख के बाद लॉक डॉउन एकदम से खोल दिया जाना चाहिए ? यह एक यक्ष प्रश्न है ।
मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने लॉक डॉउन के पश्चात संभावित खतरों एवं आशंकाओं के मद्देनज़र प्रधानमंत्री को हाल ही में ख़त लिखकर अपनी चिंता से अवगत कराया है । यह बात भी ध्यान में रखनी है कि मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में तमाम डॉक्टरों , मेडिकल पैरा मेडिकल, पुलिस सामाजिक संस्थानो एवं जमीनी कार्कर्ताओं के अथक प्रयासों से हासिल न्यूनतम संक्रमण फैलाव को जरा सी चूक से खो देना उचित नहीं होगा। निश्चित रूप से यह एक बड़ी चुनौती है । चुनौती सिर्फ सामाजिक नहीं बल्कि आर्थिक व सामुदायिक भी है ।
राज्य के सीमित संसाधनो के बल पर क्या इससे निपटा जा सकता है यह विचारणीय है । यह बात गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ ने सारे उपाय अपने ही संसाधनों से किए । केन्द्र सरकार से आर्थिक सहायता की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं और न ही केन्द्र से अपेक्षित मदद मिल सकी । तमाम वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद मुख्य मंत्री भूपेश बघेल राज्य के संसाधनो के भरोसे ही इस महामारी के खिलाफ जंग जारी रखे हुए हैं । इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । लॉक डॉउन के चलते प्रदेश में कामकाज बंद पड़ गए हैं । इसके चलते किसानों, मजदूरों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है वहीं उद्योग व्यापार भी ठप्प पड़ गया है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस गंभीर संकट को ध्यान में रखते हुए सभी वर्गों के लिए काफी राहत पैकेज की घोषणा की । साथ ही मैदानी स्तर पर भी मजदूरों व अन्य विस्थापितों को पलायन से बचाते हुए आश्रय और उनके भोजन पानी की व्यवस्था की । दूसरी ओर आर्थिक तंगी से जूझ रहे उद्योग, व्यापार काम धंधे सभी क्षेत्रों से जुड़े लाखों परिवार और आम आदमी के लिए ये कदम अत्यंत कष्टकारक हो सकते हैं । इस स्थिति के लिए एक ठोस नीति बनानी होगी । केन्द्र सरकार से अपने हिस्से की बकाया राशि के साथ ही आपातकालीन परिस्थिति के लिए आर्थिक सहयोग भी ज़रूरी होगा ।
मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के प्रयासों का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में इस महामारी का फैलाव रोकने में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल हुई है । इस उपलब्धि को कायम रखने व आपदा के विस्तार को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ में 14 अप्रैल के बाद संभव हो तो एक दो हफ्ते तक लॉक डॉउन बहुत सीमित व नियंत्रित उपायों के अंतर्गत खोलना ही उचित प्रतीत होता है । राज्य की नाकेबंदी भी जारी रखनी होगी । बाहर के प्रदेशों से किसी भी तरह की आवाजाही पर पूरी तरह रोक भी जारी रखनी होगी । मुख्य मंत्री से यह अपेक्षा है कि अंतर जिला और यहां तक कि नगरों व कस्बों के बीच भी आवाजाही पर कड़ाई से प्रतिबंध जारी रखा जाना चाहिए जिससे सामाजिक दूरी के जरिए अभी तक हासिल उपलब्धि बाधित न हो और आगामी दिनों में जल्द ही संक्रमण का खतरा लगभग पूरी तरह समाप्त किया जा सके । मुख्यमंत्री को इन सभी संभावनाओं और आपदा की आशंकाओं को ध्यान में रखकर प्रदेश हित में जनहित में सोच समझकर कदम उठाने होंगे ।
( जीवेश चौबे)