कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर शनिवार को किया गया चक्का जाम शांतिपूर्ण रहा। चक्का जाम 12 से 3 बजे तक रहा। इस दौरान दिल्ली में कई मेट्रो स्टेशन को बंद रखा गया। इस दौरान आपातकालीन और ज़रूरी सेवाओं वाले वाहनों जैसे- एंबुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका गया।
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और आंदोलनकारियों को निर्देश दिया था कि चक्का जाम पूरी तरह शांतिपूर्ण और अहिंसक होना चाहिए। दिल्ली और उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड को जाम से बाहर रखा गया था।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान जिस तरह कुछ उपद्रवी तत्वों ने हिंसा का सहारा लिया, उसे देखते हुए किसान संगठन और पुलिस दोनों ही अलर्ट मोड में रहे। केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीनों बॉर्डर्स पर आधी रात तक के लिए इंटरनेट को बंद कर दिया है।
किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए पुलिस, पैरामिलिट्री फ़ोर्स और अन्य सुरक्षा बलों के 50 हज़ार जवानों को दिल्ली-एनसीआर में तैनात किया गया था।
अंबाला के शंभू बॉर्डर, हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर और दिल्ली-गुड़गांव के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने जाम लगाया। पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे और यहां जाम का ख़ासा असर देखने को मिला। महाराष्ट्र में भी चक्का जाम के समर्थन में किसान सड़कों पर उतरे।
किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार ने दिल्ली के चारों ओर के रास्तों को और धरने वाली जगहों पर पानी, बिजली, टॉयलेट जैसी ज़रूरी सुविधाओं को भी बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि आंदोलन में शामिल नौजवान लड़कों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
किसान नेताओं ने कहा है कि आंदोलन वाले इलाक़ों को छावनी बना दिया है और इंटरनेट भी बंद कर दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार इस आंदोलन से घबरा गई है और वह पत्रकारों पर मुक़दमे दर्ज कर रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और इसे और मजबूती से लड़ा जाएगा।
एजेंसियां