वर्ष 2021 फणीश्वरनाथ रेणु जन्मशताब्दी वर्ष है। भारतीय जन मानस , खांटी देशीय लोक जीवन के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए यह महसूस होता है कि आज उनके निधन के लगभग 45 बरस बाद भी उनकी प्रासंगिकता बरकरार है। इस अवसर पर बनास जन पत्रिका ने विशेषांक प्रकाशित किया है। विशेषांक के संपादक श्री पल्लव हैं।
आज़ाद भारत में तेजी से बदलते भारतीय लोक जीवन को अपनी रचनाओं में बहुत दमदार तरीके से और प्राथमिकता के साथ उकेरने वाले रचनााकारों में फणीश्वरनाथ रेणु का स्थान सर्वोपरी है। 4 मार्च 1921 को जन्मे रेणु का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। इस शताब्दी अवसर पर बनास जन का श्री पल्लव के संपादन में रेणु पर प्रकाशित बहुत ही महत्वपूर्ण अंक है। अंक की शुरुवात रेणु रचनावली के मूर्धन्य संपादक भारत यायावर के लेख से होना एक सुखद अनुभूति है। उल्लेखनीय बात ये है कि अंक में वरिष्ठ रचनाकारों के साथ ही ज्यादातर ऐसे रचनाकारों के आलेख हैं जो रेणु के निधन के कुछ ही पूर्व या बाद में ही जन्में हैं, यह रेणु की प्रासंगिकता एवं लोकप्रियता के साथ उनकी महत्ता को प्रमाणित करते हैं। युवा रचनाकारों की नज़र में उनके आलेखों से रेणु के रचना संसार को समझने की नयी दुष्टि साफ महसूस की जा सकती है।
अंक में उनके बहुआयामी व्यक्तिव के साथ ही उनके कथा, उपन्यास, एवं कविता सहित वृहत्तर रचनात्मक पहलुओं पर अलग अलग आलेख हैं जो पाठको , विशेषकर युवा वर्ग के लिए बहुत उपयोगी हैं। अंक में उनके प्रमुख उपन्यास मैला आंचल सहित परती परिकथा , जुलूस, पलटू बाबू रोड पर विशेष आलेख हैं जो पाठको को एक नई दृष्टि एवं सोच प्रदान करते हैं। विशेषांक में रेणु के कथेत्तर गद्य और सुप्रसिद्ध फिल्म तीसरी कसम से जुड़े नवीन रोचक प्रसंगों पर भी आलेख हैं। रेणु के साहित्येत्तर जीवन पर भी चर्चा है मगर इस पक्ष को बहुत विस्तार नहीं मिल पाया। रेणु साहित्य के साथ ही सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन में भी काफी दखल रखते थे।
रेणु शताब्दी वर्ष में बनास जन का यह अंक बहुत महत्वपूर्ण, पठनीय एवं संग्रहणीय है।विशेषांक का मूल्य 200 रु. है । प्रकाशक- बनास जन- 393,डी.डी.ए., ब्लॉक सी एंड डी , कनिष्क अपार्टमेंट.शालीमार बाग, दिल्ली- 110088