नथमल शर्मा की कविताएँ सहज ही अपनी ओर ध्यान खींचती हैं। जीवन से गहरे जुड़ाव और मनुष्यता के पक्ष में खड़ी उनकी कविताओं को दर्शकों-श्रोताओं ने ख़ूब पसंद किया। वे ‘जनसुलभ पुस्तकालय’ के ‘रचना-प्रक्रिया और रचना-पाठ’ स्तंभ के अंतर्गत अपनी कविताओं का पाठ कर रहे थे। इस अवसर पर नथमल शर्मा ने अपने रचानायात्रा से […]
Read Moreवर्ष 2021 फणीश्वरनाथ रेणु जन्मशताब्दी वर्ष है। भारतीय जन मानस , खांटी देशीय लोक जीवन के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए यह महसूस होता है कि आज उनके निधन के लगभग 45 बरस बाद भी उनकी प्रासंगिकता बरकरार है। इस अवसर पर बनास जन पत्रिका ने विशेषांक प्रकाशित किया है। विशेषांक के संपादक श्री […]
Read Moreज्योतिका सूद “गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में लाल किले की घटना के बाद जो 257 टि्वटर हैंडल सस्पेंड किए गए थे, उनमें ‘द कारवां’ पत्रिका का टि्वटर हैंडल भी शामिल था। ज्योतिका सूद के साथ बातचीत में पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस ने बताया कि सोशल मीडिया, पत्रकार और सरकार कैसे काम कर […]
Read Moreअरविंद कुमार आज दुनिया में किसानों की छवि खराब करने की साजिश के हल्ले के बीच यह जानना दिलचस्प है कि करीब 60 साल पहले एक अमेरिकी शोधार्थी वाल्टर हाउजर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय अकादमिक जगत में भारत के किसान आंदोलन की आवाज उठाई थी। उसके बाद से सत्तर के दशक में अकादमिक जगत में […]
Read Moreआकांक्षा पारे काशिव “अगर कहानियों में नायिकाएं विद्रोह पर उतर आएं, तो समझ जाइए कि समाज में बदलाव धीरे-धीरे दस्तक देने लगा है”,कंचन सिंह चौहान के पहले कहानी संग्रह में यह दस्तक सुनाई देती है। उनकी नायिकाएं ‘जी’ कहने से पहले ‘क्यों’ पूछती हैं। ‘बदजात’ ऐसी ही कहानी है, जिसमें एक मां का विद्रोह है। […]
Read Moreख़लील जिब्रान (6 जनवरी, 1883–10 जनवरी, 1931) अरबी और अंग्रेजी के लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। जीवन की कठिनाइयों की छाप उनकी कृतियों में […]
Read Moreमुकेश कुमार कथाकार चंदन पांडेय का उपन्यास वैधानिक गल्प साल भर से काफ़ी चर्चा में है। समकालीन परिस्थितियों को यह उपन्यास गहरी संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है। पूरी कथा पाठक में इतनी बेचैनी पैदा कर देती है कि वह आतंकित कर देने वाली उन परिस्थितियों और किरदारों के बारे में सोचे जो हमारे आस […]
Read Moreअंजलि मिश्रा एलिया की आशिक-माशूक वाली शायरी में बेचारगी के बजाय एक किस्म की बेफिक्री दिखती है जो सोशल मीडिया पर मौजूद आशिकों को खूब भाती है जॉन एलिया के लोकप्रिय होने की कई वजहें हैं. जॉन एलिया कई भाषाओं जैसे हिंदी, उर्दू, इंग्लिश, हिब्रू और संस्कृत के जानकार थे. एलिया का यह भाषाई ज्ञान […]
Read Moreअंजू शर्मा की कहानियां पिछले कई वर्षों से प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. सुंदर कथा शिल्प और अलग-अलग पृष्ठभूमि और भाषाई प्रयोगों के माध्यम से लिखी गईं इन सभी कहानियों में अपने समय की अनुगूंज है . कहानी संग्रह ‘एक नींद हज़ार सपने’ है और हाल ही में उनका कहनी संग्रह ‘सुबह ऐसे […]
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