महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरएसएस और भाजपा पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि शिव सेना तो भारत की आज़ादी के संघर्ष के दौरान नहीं थी लेकिन भाजपा का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी इस लड़ाई में शामिल नहीं था। उन्होंने भाजपा पर भी हमला बोलते हुए कहा, “भारत माता की जय कहने से आपका देश से प्यार साबित नहीं होता। आपको भारत माता की जय बोलने का कोई अधिकार नहीं है, अगर आप लोगों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं और किसानों को आंदोलन करने के लिए मज़बूर कर रहे हैं।”
लंबे वक़्त तक साथ रहे और हिंदुत्व की राजनीति करते रहे बीजेपी और शिव सेना के बीच अब आए दिनतलवारें खिंचना आम बात हो गई है। शिव सेना कई बार कह चुकी है कि बीजेपी उसे हिंदुत्व पर भाषण न दे। शिव सेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी के नट बोल्ट कसे हैं।
उद्धव ने विधानसभा में कहा, “एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने को लेकर भाजपा हिंदुत्व को त्याग देने का आरोप शिव सेना पर लगाती है लेकिन जब आपने कश्मीर में अलगाववादियों के साथ सरकार बनाई, तब आपका हिंदुत्व भ्रष्ट नहीं हुआ था। आप हमें हिंदुत्व मत सिखाइए।” उन्होंने सवाल पूछा कि अब तक कितने विस्थापित कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाया गया है।
सामना के ताज़ा संपादकीय में भी बीजेपी पर जमकर हमला बोला गया है। संपादकीय में लिखा गया है, “हमारे देश में गत चार-पांच वर्षों से ‘देशभक्ति’ और ‘देशद्रोह’ की नई व्याख्या स्थापित कर दी गई है। मोदी सरकार का समर्थन करना देशभक्ति और विरोध व्यक्त करना देशद्रोह! यह ‘नवदेशद्रोह’ का स्टैंप अब तक कई लोगों पर लग चुका है और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और फारुक़ अब्दुल्ला भी उन्हीं में से एक हैं।”
सामना में लिखा है कि फारुक़ अब्दुल्ला को भी ‘देशद्रोही’ साबित करने का प्रयास हुआ लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के कान छेद दिए हैं। ग़ौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘सरकार का जो मत है, उससे अलग मत व्यक्त करना राजद्रोह नहीं है।’
मुखपत्र में लिखा गया है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले किसानों को भी देशद्रोही और खालिस्तानी साबित करने का प्रयास हुआ और इस आंदोलन का समर्थन करने वाले राजनीतिक और गैर राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को देशद्रोही तथा अर्बन नक्सलवादी साबित किया गया। संपादकीय कहता है कि उससे पहले नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को पाकिस्तान प्रेमी और देश विरोधी साबित किया गया।
एजेंसियां