तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए आंदोलन में किसान नेताओं के निशाने पर भाजपा है। ऐसे में हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार को भी दबाव में लाने की कोशिश की जा रही है। 10 मार्च को कांग्रेस की ओर से विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। उससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता डा. दर्शनपाल की ओर से वीडियो जारी करके किसानों से अपील की जा रही है कि वे एक पत्र लेकर भाजपा-जजपा के विधायकों के पास जाएं और उनसे यह आश्वासन लें कि किसान हित में इस अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में खड़े होंगे।
संयुक्त किसान माेर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक पर सभी की निगाह टिकी हुई है। एक सप्ताह पहले हुई बैठक में 15 मार्च तक की गतिविधियां तय की गई थीं। उससे पहले ही मोर्चा की तरफ से दाेबारा बैठक बुला ली गई है। ऐसे में क्या मंथन होगा, इसी पर चर्चाएं हैं।
संभावना यह भी है कि मोर्चा की तरफ से आंदोलन को तेज करने के लिए प्रभावी फैसला लिया जा सकता है। इसमें हरियाणा के किसान नेताओं की ओर से भी प्रस्ताव रखे जाएंगे। केएमपी को पांच घंटे तक जाम करने और धरना स्थलों पर बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति के बीच अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के बाद अब आगामी रणनीति बनाई जाएगी। 15 मार्च को संयुक्त मोर्चा ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से रेलवे स्टेशनों के बाहर की जाने वाली सभाओं में शामिल होने और 15 व 16 मार्च की बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को समर्थन करने का ऐलान भी कर रखा है। जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहां पर भी संयुक्त मोर्चा के नेता जाएंगे और भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे।
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