किसान आंदोलन 175वे दिन में प्रवेश कर गया है। इस दौरन किसान सरकारी दमन के साथ ही प्रकृति की क्रूरता का भी बड़ी बहदुरी से समाना कर रहे है। विगत दिनों भारी बारिश से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर लगे मोर्चों में भारी नुकसान हुआ। किसानों के लंगर व रहने के प्रबंधन में अव्यवस्था हुई है। सड़कों व ढलान वाली जगहों पर पानी भर आया है। लेकिन किसानों के हौसले में कमी नहीं आई।
दिल्ली में चक्रवाती तूफान ‘ताउते’ और पश्चिमी विक्षोभ के कारण बृहस्पतिवार को सुबह साढ़े आठ बजे तक बीते 24 घंटों में रिकॉर्ड 119.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिसने मई में बारिश के पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि शहर में बुधवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 16 डिग्री कम 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो 1951 के बाद से मई में सबसे कम अधिकतम तापमान है।
राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर. के. जिनामणि ने कहा, ‘‘मई आमतौर पर सूखा रहता है। सामान्यतः दिल्ली में इस महीने 24 घंटों में अधिकतम 30 मिमी या 40 मिमी बारिश होती है। लेकिन यह अरब सागर से आ रही और पश्चिमी विक्षोभ के संपर्क से पूरी तरह अलग व्यवस्था है। चूंकि इसके विशेष गुण दुर्लभ है तो इतनी बारिश होना हैरानी की बात नहीं है।’’
हालांकि बारिश कल देर रात तक जारी थी लेकिन अभी बारिश रुकी हुई है व आने वाले समय में भी मौसम विभाग ने संभावना जताई है। किसानों ने स्थिति को संभालने की कोशिश कर दी है। कल ही सभी किसानों को बारिश की संभावना का संदेश दे दिया गया था। बारिश का असर जितना ज्यादा है, उतना ही बड़ा किसानों का हौंसला है। उपलब्ध संसाधनों की मदद से स्थिति को संभाला जा रहा है। सरकार की तरफ से कोई प्रबंध नहीं होने से किसान खुद ही इन हालातों से लड़ रहे हैं।
किसान संगठनों के संयुक्त मंच किसान संयुक्त मोर्चे ने अपने बयान में कहा “इतने लंबे समय से लड़ रहे संघर्ष में किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रखा है। सरकार ने किसानों को बदनाम करने की तमाम कोशिशें की परंतु असफल रही। देश में किसी फसल या राज्य में उत्पादन या निर्यात बढ़ने का पूरा श्रेय सरकार लेती है। किसानों के कल्याण का दिखावा करने वाली सरकार आज दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे हर मानवीय और अन्य नुकसान की भी जिम्मेदारी ले। भाजपा का यह दोगला चरित्र अब सबने सामने आ गया है।”
आगे उन्होंने कहा किसान आंदोलन में अब तक 470 से ज्यादा किसान शहीद हो गए हैं। अनेक आंदोलनकारियों को अपनी नौकरी, पढ़ाई व काम छोड़ने पड़े हैं। इन सबके बावजूद सरकार का ऐसा रवैया यह बताता है कि सरकार कितनी अमानवीय है व बेफिक्र है। सरकार अगर अपने नागरिकों की फिक्र करती है व उनका कल्याण चाहती है तो किसानों से बातचीत शुरू कर उनकी मांगें मान लेनी चाहिए।
राजस्थान और हरियाणा के शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने हरियाणा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। युक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए डॉ.संजय “माधव” ने बताया कि हरियाणा के हिसार में जो किसानों पर लाठीचार्ज हुआ और उसके बाद किसानों की गिरफ्तारियां हुई, इससे नाराज़ किसान नेताओं ने हिसार के आजु बाजू सारे हाइवे जाम कर दिए थे। जिससे घबरा कर प्रशासन ने किसानों से समझौता करते हुए सभी किसानों को बिना केस दर्ज करते हुए उन्हें रिहा करना पड़ा था। पर अब प्रशासन अपनी बात से पलटते हुए किसानों पर कार्यवाही करने की बात कह रहा है। इसको लेकर सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की बैठक चल रही है। अगर प्रशासन और सरकार ने किसानों से गद्दारी की तो उन्हें मुहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
इस हमले से गुस्साए किसानों ने मय्यड़ टोल प्लाजा, जिला हिसार पर बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग की गाड़ी रोककर भारी विरोध किया। विधायक से दोनों हाथ जुड़वा कर माफी मंगवाई गयी और माफी मांगने के बाद ही विधायक को वहां से जाने दिया गया। किसानों ने कहा यह संदेश है कि किसानों के हौसले बुलंद हैं, उन्हें किसी भी हमले से डर नहीं लगता और वे भाजपा-जजपा को सबक सिखाएंगे।
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