प्रशासन परेशान है कि अचानक बाज़ारों में भीड़ उमड़ आती है और शारिरिक हो या सामाजिक किसी भी दूरी का पालन नहीं हो पाता । लोग हैं कि मानते ही नहीं । एक तो वैसे ही लोग कुछ न कुछ बहाने से लॉक डॉउन का उल्लंघन कर सड़कों पर घूमते रहते हैं ऊपर से अगर अचानक लॉक डॉउन के दौरान 3 दिनों का कर्फ्यू लगाने की घोषणा होगी तो बाज़ारों में अफरा तफरी मचेगी ही और 3 दिनों के लिए ज़रूरी राशन सब्जी लेने भीड़ तो उमड़ेगी ही । निश्चित ही कोरोना के फैलाव को नियंत्रित करने में छत्तीसगढ़ सरकार अब तक तो काफी सफल रही है । इस नियंत्रण के पीछे आपसी दूरी बनाए रखना सबसे अहम कारण है जिसे बनाए रखने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं । मगर यदि समुचित प्रबंधन हो तो इस तरह सख्त कर्फ्यू की आवश्यकता पड़नी ही नहीं चाहिए ।
जनता द्वारा लॉक डॉउन का ठीक से पालन न किए जाने का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार द्वारा पहले 2 दिन और अब 3 दिनों का सख्त कर्फ्यू लगाया गया है । कहा जा रहा है कि लॉक डॉउन के दिनों में ज़रूरी सामान जैसे किराना या सब्जी के लिए छूट के दौरान बाज़ारों में भीड़ उमड़ पड़ती है । लोग जहां लॉक डॉउन का पालन नहीं करते वहीं इसमें प्रशासन की अदूरदर्शिता भी एक कारण रहा है। जो सब्जी बाज़ार पहले गलियों मोहल्लों में बंटा हुआ विकेन्द्रीकृत था उसे अचानक बैन कर एक ही जगह पर लगाए जाने का निर्णय अदूरदर्शी ही कहा जाएगा । छोटे छोटे समूहों में बंटे बाज़ारों में भीड़ का खतरा कम ही होगा । एक स्थान पर बुला लेने से भीड़ तो बढ़ेगी ही और इससे दूरी बनाए रखने के उद्देश्य पर भी पानी फिर जाएगा । दूसरी ओर इस भीड़ के चलते अचानक 3–3 दिनों का कर्फ्यू लगा देने की घोषणा से लोग सामान लेने उमड़ेंगे ही । लोगों को इस तरह भयभीत करने की बजाय बाज़ार का विकेन्द्रीकरण कर दैनिन्दिन ज़रूरी सामानों की उपलब्धता गली मोहल्ले के स्तर पर सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देनी होगी।
इस दिशा में सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ हाट ऑन लाइन पोर्टल एक महत्वपूर्ण कदम है । सोशल मीडिया के ज़रिए इसे ही प्रमुखता से प्रचारित प्रसारित कर आम जन को अवगत कराना चाहिए । इस बात पर भी नज़र रखनी होगी कि सप्लाई में किसी तरह की अतिरिक्त वसूली न की जाए जैसी शिकायत पहले लॉक डॉइन के दौरान राशन सप्लाई करने के लिए रजिस्टर्ड दुकानों के कई मामलों में सामने आई । इस ऑन लाइन के अतिरिक्त गली मोहल्लों में भी फुटकर बेचने वालों को सीमित समय के लिए छूट देना उपयोगी साबित हो सकता है । यह उपाय न सिर्फ शारीरिक दूरी बहाल रखने में बल्कि रोज़ कमाने खाने वालों को रोज़गार मिलने से आर्थिक समस्या पर भी काफी हद तक काबू पाने में कारगर सिद्ध हो सकता है ।
इसके साथ ही जैसा कॉंग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि सिर्फ लॉक डॉउन ही एक मात्र इलाज नहीं हो सकता , लॉक डॉउन एक पॉज़ हो सकता है मगर सबसे ज़रूरी है टेस्टिंग। छत्तीसगढ़ में भी सामुदायिक टेस्टिंग को बढ़ाना होगा। प्रदेश के एकमात्र हॉट स्पॉट कटघोरा को राजस्थान के भीलवाड़ा की तर्ज़ पर एक एक घर तक पहुंचकर सैंपल लेकर ज़रूरी एहतियाती कदम उढाने होंगे , तभी छत्तीसगढ़ को आगे भी सुरक्षित ऱखा जा सकेगा ।