संसद भवन के निकट ऐतिहासिक किसान संसद के मानसून सत्र की जोर-शोर से शुरुआत – किसान-विरोधी एपीएमसी बाइपास अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत और अनुशासित बहस हुई। दिल्ली पुलिस द्वारा मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश को एसकेएम ने शर्मनाक प्रयास कहा और उसकी की निंदा की .केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 200 किसानों के एक समूह ने मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘किसान संसद’ शुरू की। विदित हो कि जंतर मंतर, संसद भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है जहां मॉनसून सत्र चल रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आठ महीने बाद सरकार ने स्वीकार किया कि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लोग किसान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसान जानते हैं कि संसद कैसे चलानी है। जो लोग संसद में बैठे हैं-चाहे वे विपक्षी नेता हों या सरकार के लोग हों, यदि वे हमारे मुद्दे नहीं उठाते हैं तो हम उनके निर्वाचन क्षेत्र में अपनी आवाज उठाएंगे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया की पहली संसद है जो अवरोधकों के अंदर चल रही है और जिसे किसानों ने शुरू किया है। किसान संसद, संसद का सत्र जारी रहने तक चलेगी और आप (सरकार) को हमारी मांगें माननी पड़ेगी।’’ टिकैत ने कहा कि वे तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगे।
भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच किसानों ने कहा कि किसान संसद आयोजित करने का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि उनका आंदोलन अब भी जारी है तथा केंद्र को यह संदेश देना है कि वे भी जानते हैं कि संसद कैसे चलाई जाती है। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और हजारों कर्मियों को इलाके में तैनात किया गया है।
किसान नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, ‘‘(किसान) संसद के तीन सत्र होंगे। छह सदस्यों का चयन किया गया है जिन्हें तीनों सत्र के लिए अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) चुना जाएगा। प्रथम सत्र में किसान नेता हन्नान मौल्ला और मंजीत सिंह को इन पदों के लिए चुना गया है।
अन्य नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद इस बार किसानों ने कम संख्या में एकत्र होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ना तो हम और ना ही सरकार भारी भीड़ के प्रति सहज है। भोजनावकाश और चाय के लिए भी अवकाश होगा तथा हमारे पास सबकुछ है।’’
उन्होंने किसान संसद की जरूरत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मीडिया देश भर में कोविड की स्थिति पर रिपोर्टिंग कर रहा है और यह संदेश जा रहा है कि किसान आंदोलन अंतिम सांसें गिन रहा है। कक्का ने कहा, ‘‘किसान संसद के जरिए हमने दिखा दिया है कि आंदोलन अब भी जीवंत है और हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे। ’’
किसान नेता हन्नान मौल्ला ने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों को लेकर संसद में हंगामा हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान संसद में हम उन तीन कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। ये काले कानून संसद में चर्चा के बगैर पारित किये गये थे। हम किसान संसद के जरिए इन्हें खारिज करेंगे। ’’
मौल्ला ने कहा कि किसानों ने सभी सांसदों को पत्र लिख कर अपनी मांग उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रही है।
मोर्चे ने इसे एक ऐतिहासिक जन आंदोलन का एक ऐतिहासिक दिन कहा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया गया। जैसा कि एसकेएम ने पहले ही बताया था, किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही। सुबह पुलिस ने किसान संसद के प्रतिभागियों की बस को जंतर-मंतर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही पर प्रतिवेदन करने से रोकने की भी कोशिश की, और उन्हें बैरीकेड लगा कर किसान संसद के आयोजन स्थल से बहुत दूर रोक दिया गया।
संयुक्त मोर्चे ने अपने बयान में कहा “किसान संसद में किसानों ने भारत सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया कि किसानों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ उनकी चिंता क्या है, और वे केवल अपनी निरसन की मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेने वालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए। उन्होंने दुनिया के सामने इस काले कानून के बारे में अपनी विस्तृत ज्ञान को प्रदर्शित किया, और क्यों वे पूर्ण निरसन और इससे कम कुछ नहीं पर जोर दे रहे हैं।”
इस बीच, किसान संसद एक तरह से संसद की कार्यवाही के ठीक विपरीत थी। किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने आज यानी गुरुवार को सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया। जैसा कि किसान आंदोलन में होता रहा है, एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक का समय नहीं दिया गया। इसके बजाय उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया।
दिल्ली के उप राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों को प्रदर्शन करने की विशेष अनुमति दी है।
जहां किसान संसद चल रही है, उस इलाके में शुरूआत में मीडियाकर्मियों को जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। किसानों ने इस कदम की निंदा करते हुए एक “प्रस्ताव” पारित किया। हालांकि, बाद में परिचय पत्र की जांच करने के बाद उन्हें अंदर जाने की अनुमति दे दी गई।
इससे पहले, 200 किसानों का समूह पुलिस सुरक्षा के बीच बसों में सिंघू सीमा प्रदर्शन स्थल से जंतर मंतर पर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक प्रदर्शन करने पहुंचा।
प्रदर्शनकारी किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा से इस बारे में शपथपत्र देने को कहा गया था कि वे कोविड के सभी नियमों का अनुपालन करेंगे और शांतपिपूर्ण आंदोलन करेंगे।
इसके अलावा, केरल के 20 सांसदों ने किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए जंतर-मंतर का दौरा किया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपनी निरंतर एकजुटता में गुरुवार को जंतर-मंतर पर किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की और आगे भी करने का दावा किया है ।
समिति के एक सदस्य सरबजीत सिंह विर्क ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ‘किसान संसद’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए पास के बांग्ला साहिब गुरुद्वारा से भोजन उपलब्ध कराया गया। “हमारी समिति पिछले नवंबर से तीनों सीमाओं पर लंगर का आयोजन कर रही है । अब जब किसान जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे है तो हम उन्हें खाना भी परोसना जारी रखेंगे।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में, खासकर जंतर-मंतर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी। किसान संसद को देखते हुए वहां बैरिकेड्स, वॉटर कैनन और दंगा कंट्रोल वैन तैनात कर दी गई है। बीकेयू के चादुनी गुट के संगठनिक सचिव हरपाल सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि एसकेएम द्वारा किसी भी असमाजिक तत्व के प्रवेश से बचने के लिए ” पर्याप्त सावधानी” भी बरती जा रही है।
सिंह ने एसकेएम द्वारा जारी एक पहचान पत्र रखा था, जिसके बिना, उनके अनुसार, ‘किसान संसद’ में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सिंह ने कहा कि हर दिन जंतर-मंतर पर किसानों के नए दल के आने के साथ ही उनमें से हर एक को ये पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।
आगे उन्होंने कहा “हम इस सरकार को हम पर उंगली उठाने का कोई और कारण नहीं देना चाहते हैं। हम शांतिपूर्ण विरोध के बिना जारी रखने के लिए दृढ़ हैं, भले ही हमे 2024 तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठन पड़े।”
( एजेंसी इनपुट के साथ )