जम्मू और कश्मीर का परिसीमन फार्मूला कश्मीर की पार्टियों को मंजूर नहीं

परिसीमन आयोग ने कश्मीर में एक सीट और जम्मू में छह सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. इससे विधान सभा में कुल सीटों की संख्या 90 हो जाएगी. इनमें से जम्मू की सीटें 37 से बढ़कर 43 हो जाएंगी और कश्मीर की सीटें 46 से बढ़कर 47. बीजेपी के अलावा कश्मीर में सक्रिय सभी पार्टियों ने इस मसौदे का विरोध किया है.

आयोग की सोमवार 20 दिसंबर को दिल्ली में बैठक हुई थी जिसमें बीजेपी के दो सांसद और एनसी के तीन सांसद भी शामिल हुए थे. बैठक में आयोग ने सभी सदस्यों के साथ विधान सभा में सीटों के प्रस्तावित आबंटन को साझा किया और उन्हें 31 दिसंबर तक अपने विचार सामने रखने को कहा.

आयोग ने विधान सभा में सात सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें से छह जम्मू में होंगी और एक कश्मीर में. इसी के साथ विधान सभा में कुल सीटों की संख्या 90 हो जाएगी. इनमें से जम्मू की सीटें 37 से बढ़कर 43 हो जाएंगी और कश्मीर की सीटें 46 से बढ़कर 47.

बीजेपी को छोड़ कर कश्मीर में चुनाव लड़ने वाली सभी पार्टियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. एनसी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपना विरोध जताते हुए एक ट्वीट में कहा कि सीटों के इस आबंटन का 2011 की जनगणना के आंकड़े समर्थन नहीं करते. उन्होंने आयोग पर बीजेपी के राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया.

इसके अलावा एनसी सांसद और आयोग के एसोसिएट सदस्य हसनैन मसूदी ने बताया कि उन्होंने आयोग से कहा कि परिसीमन जिस जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया जा रहा है उसके खिलाफ अदालत में मुकदमा चल रहा है और ऐसे में उसके तहत फैसले नहीं लिए जा सकते.

पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि आयोग को लेकर उनकी आशंका सही निकली और आयोग लोगों को धार्मिक और प्रांतीय आधार पर बांटकर बीजेपी के राजनीतिक हितों के लिए काम कर रहा है.

परिसीमन के नियमों के अनुसार विधान सभी की सीटों का पुनर्गठन सिर्फ जनसंख्या के आधार पर ही होना चाहिए और इसके लिए 2011 की जनगणना के आंकड़े लिए जाने चाहिए थे. इन आंकड़ों के अनुसार कश्मीर की आबादी (68.8 लाख) जम्मू की आबादी (53.5 लाख) से 15 लाख ज्यादा है.

इसी वजह से जम्मू और कश्मीर की विधान सभा में कश्मीर की 46 सीटें थीं और जम्मू की 37. नए प्रस्ताव के अनुसार आबादी के आंकड़ों में इतना फर्क होने के बावजूद जम्मू में कश्मीर से बस चार ही सीटें कम रह जाएंगी. यानी विधान सभा में जम्मू के प्रतिनिधित्व का अनुपात बढ़ जाएगा.

इसके अलावा लद्दाख की चार सीटें भी थीं. 2019 में राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए.

एजेंसियां

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