टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ इलॉन मस्क ने घोषणा की है कि उनकी मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी न्यूरालिंक ने अपना पहला मानव मस्तिष्क प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक कर लिया है और मरीज अच्छी तरह से रिकवर हो रहा है. मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा पहले मानव को कल न्यूरालिंक से इम्प्लांट प्राप्त हुआ और वह अच्छी तरह से ठीक हो रहा है. उन्होंने लिखा, “शुरुआती नतीजे आशाजनक हैं.”
मस्क ने कहा कि कंपनी का पहला उत्पाद, जिसे टेलीपैथी कहा जाता है, वह सिर्फ सोचने से फोन या कंप्यूटर पर कंट्रोल ला देगा. न्यूरालिंक को पिछले साल मानव परीक्षण के लिए अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की मंजूरी मिली थी. सितंबर में न्यूरालिंक ने कहा था कि वह छह साल के शुरुआती परीक्षण के लिए लोगों की तलाश कर रहा था.
मस्क के मुताबिक यह आपके फोन या कंप्यूटर और उनके माध्यम से लगभग किसी भी डिवाइस को केवल सोचने मात्र से नियंत्रित करने में सक्षम होगा. उनके मुताबिक, “शुरुआती उपयोगकर्ता वे होंगे, जिन्होंने अपने अंगों का उपयोग खो दिया है.”
कैसे काम करता है चिप
इलॉन मस्क की स्टार्टअप कंपनी न्यूरालिंक को 2016 में स्थापित किया गया था. कंपनी ने एक सिलाई मशीन जैसा उपकरण विकसित किया है, जो मस्तिष्क के अंदर बहुत पतले धागे को प्रत्यारोपित करने में सक्षम है. धागे इलेक्ट्रोड के साथ एक कस्टम-डिजाइन किए गएचिप से जुड़ते हैं, जो न्यूरॉन्स के समूहों से डाटा पढ़ सकते हैं.
कंपनी के बयान के मुताबिक, “प्राइम अध्ययन का उद्देश्य हमारे प्रत्यारोपण (एन1) और सर्जिकल रोबोट (आर1) की सुरक्षा का मूल्यांकन करना और पक्षाघात से पीड़ित लोगों को अपने विचारों से बाहरी उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम करने के लिए हमारे वायरलेस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) की प्रारंभिक कार्यक्षमता का आकलन करना है.”
न्यूरालिंक का कहना है कि उसका मकसद न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित लोगों के लिए जीवन को आसान बनाना है. इंसानों से पहले इन चिप्स का परीक्षण बंदरों में किया गया था. मस्क ने 10 सितंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था, “न्यूरालिंक चिप प्रत्यारोपण करने से किसी भी बंदर की मौत नहीं हुई है.” उन्होंने कहा कि कंपनी ने स्वस्थ बंदरों के लिए जोखिम को कम करने के लिए मौत के कगार पर पहुंच चुके बंदरों को चुना.
क्या है बीसीआई?
न्यूरालिंक ने अपनी वेबसाइट पर बीसीआई के बारे में जो जानकारी दी है उसके मुताबिक जो लोग लकवे के कारण अपने शरीर के अंगों की गति पर नियंत्रण खो बैठते हैं, उन्हें चिप के जरिये कंप्यूटर और मोबाइल इस्तेमाल करने की क्षमता मिल सकती है. ऐसा वे सिर्फ सोचने से कर पाएंगे. भविष्य में ये क्षमताएं देखने, हाथ-पांव चलाने, बोलने और अनुभव करने तक भी जा सकती हैं.
कंपनी कहती है कि उसका एन1 चिप एक ऐसे पदार्थ से बने खोल में होगा जिसे शरीर के अंदर सुरक्षित रूप से लगाया जा सकता है. कंपनी कहती है कि यह चिप “शरीर के अंदर के हालात से कहीं ज्यादा खराब और विपरीत हालात” को झेल सकता है. एन1 चिप में एक छोटी सी बैट्री लगी होती है जिसे बिना किसी तार के, बाहर से ही चार्ज किया जा सकता है. इसके लिए एक छोटा सा चार्जर इस्तेमाल होता है जो कहीं से भी काम कर सकता है.
एए/सीके DW