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विविध

बरसों तक भीख मांग कर खाने वाला एक फ़कीर हंगर इंडेक्स को कैसे स्वीकार करे!

नित्यानंद गायेन ट्रम्प दम्पत्ति के कोरोना संक्रमण की चिंता से प्रधानजी अभी मुक्त भी नहीं हो पाए थे कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स वालों से भुखमरी की रिपोर्ट जारी कर दिया! ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का कोई असर किसी फ़कीर के चित्त पर पड़ सकता है क्या? जिसने खुद अपने जीवनकाल में 35 वर्षों तक भीख…

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एक ‘सिविल सोसायटी’ के राज में दूसरे का ‘वध’ और तीसरे का मौन

सत्यम श्रीवास्तव सिविल सोसायटी के भीतर ‘सिविल सोसायटी’ शब्द एक बार फिर से चर्चा में है। एक लोकतान्त्रिक देश जो नागरिकों का है, नागरिकों के द्वारा है और नागरिकों के लिए ही वजूद में है, वहां सिविल सोसायटी या नागरी समाज का भिन्न-भिन्न कारणों से चर्चा में आना इस बात का पुख्ता सबूत है कि…

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राष्ट्रीय महिला किसान दिवस : महिलाओं के पास क्यों नहीं है ज़मीन का मालिकाना हक़?

गायत्री यादव महिला किसान जिस ज़मीन में हल जोतकर अनाज पैदा कर रही है, खून- पसीना बहा रही है, उसपर उसका अधिकार होगा या नहीं इसका फैसला भी पुरुषों के हाथों में होता है। इंडियन ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे के अनुसार भारत विश्व के उन 15 देशों के से एक है, जहां परंपरागत नियम महिलाओं को…

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भारत रत्न कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष ब्राह्मणों के लिए हुआ करता था, अब ये भाजपा के हिंदुत्व ब्राह्मणों के लिए है

कांचा इलैया शेफर्ड आज भारत में जातीय चेतना एक अलग स्तर पर पहुंच चुकी है. हर बात पर नज़र रखी जा रही है. न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी जाति की नई व्याख्याएं प्रस्तुत की जा रही हैं. क्या भविष्य में स्थितियां बदलेंगी? पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और संगीतकार-गायक एसपी बालासुब्रमण्यम को भारत का सर्वोच्च…

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नुसरत फतेह अली खान ने कभी राज कपूर के लिए भी गाया था

आम धारणा है कि नुसरत साहब का पहली दफा भारत आना 1990 के बाद हुआ जबकि पाकिस्तान में वे एक दशक पहले ही मशहूर हो चुके थे. लेकिन ऐसा है नहीं. 1979 में शोमैन राज कपूर ने नुसरत साहब को अपने घर की एक शादी में गाने का निमंत्रण दिया था. शादी ऋषि कपूर और…

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हिन्दू मानस सदियों से विकेन्द्रित और सराजक रहा है, अब वह केन्द्रित और अराजक है – अशोक वाजपेयी

यह किस तरह का समाज है जो निस्संकोच और निडर होकर हिंसा, हत्या और बलात्कार को प्रोत्साहित करने लगा है! उस पर दबंग पौरुषवादी गुण्डागर्दी हावी है. उसका उदार वर्ग अगर बचा है तो चुपचाप है और अपनी कायरता में बन्द है. हिन्दू मानस सदियों से विकेन्द्रित और सराजक रहा है. अब वह केन्द्रित और…

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ब्राह्मणसत्ता और पुरुषसत्ता की दोहरी मार झेलती है दलित स्त्री

अरुण कुमार त्रिपाठी दलित स्त्रियों का आत्मसंघर्ष बहुत गहरा है। वह निरंतर दो स्तरों पर चलता है। राजस्थान की भंवरी बाई और बसमतिया, पश्चिम बंगाल की चुन्नी कोटाल और आज हाथरस की युवती, न जाने कितने उदाहरण इस तरह के हैं जो शोषण के दोहरे शिकंजे का प्रमाण देते हैं। हाथरस में दलित लड़की के…

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बेगम अख़्तर : जिन्होंने ग़ज़ल को कोठे से निकालकर आम लोगों तक पहुंचाया

अनुराग भारद्वाज मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू ऐसा चला कि रिकॉर्ड्स कम पड़ गए और म्यूज़िक कंपनी को विदेश से नया प्लांट ही मंगवाना पड़ा ग़ालिब, मोमिन, फैज़ अहमद फैज़, कैफ़ी आज़मी, शकील बदायूंनी जैसे कमाल के शायरों के कलामों को उनकी आवाज़ ने नए मुक़ाम दिलवाए. लखनऊ घरानों की शान कही जाने…

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हाथरस घटना : जाति की जंग और सत्ता का घिनौना चरित्र| नारीवादी चश्मा

स्वाति सिंह सवाल है कि आख़िर क्यों न पीड़िता की जाति और उसके वर्ग का उल्लेख हो। हमें नहीं भूलना चाहिए कि बलात्कार के पीछे विचार ही अपने विशेषाधिकार की सत्ता का क्रूर प्रदर्शन करना है, वो विशेषाधिकार जो उन्हें अपनी विशेष जाति, धर्म या वर्ग से मिला है। ऐसे में महिला की जाति और उसका वर्ग…

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ब्राह्मणवादी पितृसत्ता और जातिवाद है दलित महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की वजह

गायत्री यादव दलित महिलाओं के बलात्कार और शारीरिक शोषण के मूल में समाज में निहित ब्राह्मणवादी पितृसत्ता और अपनी जाति के सर्वोच्च होने का अहंकार है। यौन हिंसा दलित-आदिवासी औरतों के ख़िलाफ़ शोषण और दमन के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बीते 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में…

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