इतालवी दार्शनिक जार्जो आगम्बेन कोविड के दौर में चर्चा में रहे हैं। अकादमिया में संभवत: वे पहले व्यक्ति थे, जिसने नावेल कोरोना वायरस के अनुपातहीन भय के खिलाफ आवाज़ उठाई। कोविड से संबंधित उनकी टिप्पणियों के हिंदी अनुवाद प्रमोद रंजन की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक “भय की महामारी” के परिशिष्ट में संकलित हैं। पढ़ें है उनमें…
पुस्तक-समीक्षा – अनिरुद्ध कुमार मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही सरकारी आदेशों, परिपत्रों, पुलिस और जासूसी संस्थाओं की रिर्पोटों की इतिहास लेखन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इतिहास लेखन या उनके पुनर्लेखन में इन हजारों वर्षों से ये स्रोत ऐतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं। कई बार इन स्रोतों के आधार पर इतिहास की पुनर्व्याख्या…
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