आउशवित्स यातना शिविर: 75वीं वर्षगांठ पर नस्लवादी सोच कुचलने की अपील

27 जनवरी 1945 को सोवियत सैनिकों ने आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराया था. लेकिन इससे पहले वहां अनुमानित दस लाख लोगों की हत्या हुई, उनमें से ज्यादातर यहूदी थे. कैंप को आजाद कराए जाने के दिन वहां सोवियत सैनिकों को सात हजार लोग मिले थे. इनमें से ज्यादातर कुछ समय बाद ही भूख, बीमारी और थकान से मर गए. इस शिविर से जिंदा बच कर निकलने वाले और अब तक जीवित बचे दो सौ से भी अधिक लोगों के अलावा विश्व के कई बड़े राजनेता भी आउशवित्स पहुंचे. यातना शिविर को आजाद कराए जाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर कई यहूदी समूहों ने जर्मनी से यहूदी विरोधी भावनाओं को खत्म के लिए और प्रयास करने की अपील की

यातना शिविर से जिंदा बच कर निकलने वाले इन लोगों का मानना है कि अपनी आपबीती साझा कर वे लोगों को उन लक्षणों के बारे में जागरूक करना चाहते हैं जो यहूदी-विरोधी भावनाओं और घृणा का पोषण करती हैं. इन सैकड़ों बुजुर्ग यहूदी लोगों में से कई ने दूर इस्राएल, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, पेरु, रूस और स्लोविनिया जैसे देशों से पोलैंड के इस शिविर तक की यात्रा की. इनमें से कई के माता-पिता और दादा-दादी को आउशवित्स के इस शिविर या फिर अन्य नाजी यातना शिविरों में मौत के घाट उतार दिया गया था. इस बार उनके साथ इस शिविर तक यात्रा करने वालों में उनके बच्चे, नाती पोते और कुछ पड़पोते, पड़पौत्रियां शामिल हैं.

स्मृति समारोह में हिस्सा लेने के बाद ऐसे एक सर्वाइवर 91 साल के बेन्यामिन लेजर ने कहा, “हमारे जैसे साठ लाख को नाजियों ने मार डाला. अगर मैं दुनिया को बार बार यह नहीं बताउंगा तो यह उन मरने वालों को दूसरी मौत मारने जैसा होगा और मैं ऐसा नहीं होने दूंगा.” केवल 15 साल की उम्र में लेजर को हंगरी से आउशवित्स भेजा गया था. वह युवाओं और छात्रों को इस अध्याय के बारे में बताने की जरूरत पर बल देते हैं और कहते हैं, “केवल शिक्षा काफी नहीं है. नाजी भी पढ़े लिखे थे. अहम बात यह है कि युवाओं को एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना सिखाया जाए और आपस के अंतर का सम्मान करना सिखाया जाए.”

आउशवित्स में बोलते हुए लेजर ने आगे कहा, “हम सब मानवता का हिस्सा हैं. नफरत को खत्म करना ही होगा.” एक अन्य आउशवित्स सर्वाइवर और पेशे से डॉक्टर लिऑन वाइनट्राउब ने कहा, “नस्लवाद झूठे वादों पर आधारित है. असल में मानव नस्ल जैसा कुछ होता ही नहीं हैं. इंसान की केवल एक ही नस्ल है – होमो सेपियंस.” आउशवित्स में नाजी जर्मन बलों ने जिन 10 लाख लोगों की हत्या की थी उनमें से ज्यादातर यहूदी थे. हालांकि वहां पोलिश और रूसी लोग भी कैद थे. इनमें से भी कुछ लोगों ने वर्षगांठ में हिस्सा लिया. इन आयोजनों का नेतृत्व पोलैंड के राष्ट्रपति आंजे दूदा और वर्ल्ड ज्यूइश कांग्रेस के प्रमुख रोनाल्ड लाउडर ने किया

आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर भी पोलैंड में आयोजित स्मृति समारोह में हिस्सा से पहले उन्होंने बर्लिन में अपने निवास बेलेव्यू पैलेस में होलोकॉस्ट में जीवित बचे तीन लोगों से मिले और फिर उनके साथ ही वर्षगांठ कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचे.

आउशवित्स को आजाद कराने की 75वीं वर्षगांठ पर दुनिया भर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. इनकी शुरुआत वर्षगांठ से एक सप्ताह पहले इस्राएल के याद वाशेम वर्ल्ड होलोकॉस्ट रेमेंबरेंस सेंटर से हुई जिसमें 50 से ज्यादा देशों के राष्ट्र और सरकार प्रमुखों ने हिस्सा लिया. इनमें जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर के अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी शामिल थे. इस्राएल के इतिहास में यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में विश्व नेता किसी एक कार्यक्रम भाग लेने के लिए जुटे थे.

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