कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की छंटनी पर रतन टाटा ने नैतिकता पर उठाए सवाल

टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा ने कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से  पूछा है कि उनका इस मुश्किल समय में क्या कर्तव्य बनता है और उनके लिए नैतिकता की क्या परिभाषा है। टाटा ने कहा कि जिन्होंने आपके लिए काम किया, आपने उन्हें ही छोड़ दिया।

इस संदर्भ में रतन टाटा ने कहा कि ये वे लोग हैं जिन्होंने कंपनी के लिए काम किया है। कर्मचारी अपना पूरा करियर कंपनी के लिए लगाते हैं और कोरोना वायरस महामारी जैसे संकट के समय में इनका सहयोग करने के बजाय ये बेरोजगार हो रहे हैं।

टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा ने कहा है कि ‘कंपनियों द्वारा नौकरी से निकाले जाने की अनगिनत घटनाओं से लगता है जैसे कंपनियों की शीर्ष लीडरशिप में सहानुभूति की कमी हो गई है।’

रतन टाटा के अनुसार, मुनाफा कमाना गलत नहीं है, लेकिन मुनाफा कमाने का काम भी नैतिकता से करना चाहिए। आप मुनाफा कमाने के लिए क्या कर रहे हैं, ये आवश्यक है। इतना ही नहीं, कंपनियों को ग्राहकों व शेयरधारकों का भी ध्यान रखना चाहिए। ये तमाम पहलू महत्वपूर्ण हैं। अधिकारियों को खुद से पूछना चाहिए कि उनके द्वारा लिए जा रहे फैसले सही हैं भी या नहीं।

टाटा ने कहा कि जो कंपनियां अपने कर्मचारियों को लेकर संवेदनशील नहीं है, वे ज्यादा दिनों के लिए परिचालन नहीं कर सकती हैं। कारोबार का अर्थ केवल मुनाफा कमाना ही नहीं होता है। कारोबार में शेयरदारक, ग्राहक और कर्मचारी आपसे जुड़े हैं इसलिए उनके हितों के लिए सोचना चाहिए।

उन्होंने इस मुश्किल दौर से जल्द उबरने की बात करते हुए कहा कि, ‘मुझे उम्मीद है कि हमारे समक्ष इस तरह के हालात दोबारा नहीं आएंगे। और यदि आते भी हैं, तो मुझे लगता है कि आपकी बेहतर समझ होगी कि लोगों के हित के लिए क्या करना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए।’

एजेंसियां

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