देश भर में जहां शनिवार को भारत का 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया वहीं नागा समुदाय के लोगों ने शुक्रवार 14 अगस्त को नागा स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया। एनएससीएन (आईएम) गुट के नेता थुंगालेंग मुइवा ने नागा समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भारत के साथ सह अस्तित्व तो मंजूर है लेकिन भारत में विलय नहीं।मुइवा ने कहा, ‘हम भारत सरकार से यह मांग नहीं कर रहे कि वह नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता दे। वह उसे मान्यता दे न दे हमारा अपना झंडा और संविधान है। ये दोनों हमारी संप्रभुता के घटक और नागा राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं।’ विदित दो कि 14 अगस्त 2020 को ही दिल्ली में नगा नेताओं के साथ वार्ता थी जिसमें अंतिम समझौते की उम्मीद की जा रही थी मगर वार्ता विफल रही।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की 2015 में एनएससीएन के साथ क्या वार्ता हुई, इसे आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया. लेकिन, 19 जुलाई 2018 को पहली बार इस वार्ता के कुछ बिंदुओं को संसदीय समिति के सामने पेश किया गया. पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा के हालात पर बनी संसद की स्थाई समिति के सामने पेश 213वीं रिपोर्ट में सरकार ने कहा, “नागा के अलग इतिहास को केंद्र सरकार मान्यता देती है और नागाओं के लिए कुछ विशेष प्रावधान करने की दिशा में विचार कर रही है.”
14 अगस्त 2020 को दिल्ली में नागा नेताओं के साथ वार्ता थी जिसमें अंतिम समझौते की उम्मीद की जा रही थी मगर वार्ता विफल रही। देश भर में जहां शनिवार को भारत का 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया वहीं नागा समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को नागा स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया। एनएससीएन (आईएम) गुट के नेता थुंगालेंग मुइवा ने नागा समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भारत के साथ सह अस्तित्व तो मंजूर है लेकिन भारत में विलय नहीं।
मुइवा ने कहा, ‘हम भारत सरकार से यह मांग नहीं कर रहे कि वह नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता दे। वह उसे मान्यता दे न दे हमारा अपना झंडा और संविधान है। ये दोनों हमारी संप्रभुता के घटक और नागा राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी अगुआई में एक दल भारत सरकार के प्रतिनिधियों से नागा समुदाय के इतिहास पर बातचीत कर रहा है हमें भारतीय नेताओं को समझाने में काफी समय लगा कि हमारा इतिहास एकदम अनोखा और अलग है। उन्हें इस बात का भी अहसास हो चुका है कि नागा न तो कभी भारत संघ का हिस्सा थे और न कभी बर्मा के।’
ग्रेटर नागालैंड या नागालिम की मांग को केंद्र सरकार ने अब तक मंजूरी नहीं दी. ये नागाओं की बहुत पुरानी मांग है, जिसके तहत वो असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के नागा बहुल इलाक़ों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाना चाहते हैं. 2016 में केंद्र सरकार के साथ वार्ता में छह और संगठन शामिल हो गए. इन संगठनों ने मिलकर नागा राष्ट्रीय राजनीतिक समूह (एनएनपीजी) नाम का एक मोर्चा बनाया है और एनएससीएन (आईएम) के अलावा उसी गुट के साथ केंद्र सरकार की वार्ता अब तक चल रही है.