रूस के बाद चीन की कोरोना वैक्सीन

दुनिया भर में इस समय 29 कोरोना वैक्‍सीन का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है। कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर दुनिया के कई देशों के बीच एक तरह की रेस चल रही है। इस रेस में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन सबसे आगे हैं। इस बीच रूस के बाद अब चीन की पहली कोरोना वैक्सीन को भी मंजूरी मिल गई है।

पीपल्स डेली की रिपोर्ट के अनुसार चीन की वैक्‍सीन Ad5-nCoV को पेटेंट मिल गया है। इस वैक्‍सीन को CanSino Biologics Inc के सहयोग से बनाया गया है।नैशनल इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्‍ट्रेशन ने पेटेंट मिलने की जानकारी देते हुए कहा है कि इस पेटेंट को 11 अगस्‍त को मंजूरी दी गई है। चीन की इस वैक्‍सीन के तीसरे चरण का दुनिया के कई देशों में ट्रायल चल रहा है और इस साल के आखिर तक इसके बाजार में आने की उम्‍मीद है।

 इधर सऊदी अरब ने कहा कि वो इस चीनी वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहा है। कैन्सिनो बायोलॉजिक्स ने कहा है कि वह तीसरे चरण के परीक्षण के लिए रूस, ब्राजील और चिली के साथ भी बातचीत कर रहा है।

वहीं, चीन की सिनोफार्म कंपनी की वैक्सीना ने भी तीसरे चरण में प्रवेश कर लिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। कंपनी के मुताबिक वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। कंपनी दावा कर रही है कि उसकी वैक्सीन इस सालके अंत तक तैयार हो जाएगी।

इधर भारत में भी पापड़ आदि बकवासों से हटकर कोरोना वैक्सीन के लिए दिन-रात काम चल रहा है। देश में तीन वैक्सीन का अलग-अलग चरणों में ट्रायल चल रहा है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने आइसीएमआर के साथ मिलकर स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवाक्सिन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है।वहीं, अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला वैक्सीन जायकोव-डी का भी ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल जारी है। कंपनी का कहना है कि वैक्सीन अगले साल तक लांच हो सकती है। जबकि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए भारत में परीक्षण शुरू करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति ली है।

एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि अगले साल की शुरुआत तक कोना की सेफ वैक्सीन आ सकती है। किसी भी वैक्‍सीन को डेवलप कर बाजार में उतारने में काफी साल लगते हैं मगर कोरोना के प्रकोप को देखते हुए इस प्रक्रिया को बेहद तेज किया गया है।

एजेंसियां

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