अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए संघर्षरत प्रशांत भूषण के समर्थन में मौन प्रदर्शन

हम प्रशांत भूषण के साथ खड़े  हैं..  नारे के साथ राजधानी के बौद्धिक और सामाजिक संगठनों ने हम भारत के लोग मंच के तहत प्रदर्शन किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह वक्त देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े होने का है । 

    *हम प्रशांत भूषण के साथ खड़े  हैं..*  नारे के साथ राजधानी के बौद्धिक और सामाजिक संगठनों ने हम भारत के लोग मंच के तहत प्रदर्शन किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह वक्त देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े होने का है । 

   लोकतंत्र की सबसे मजबूत गारंटी होती है जागरूक नागरिक समाज इसी के मद्देनजर  इस पुनीत  कार्य में नगर के विभिन्न सामाजिक और बौद्धिक संगठनों के जागरूक एवं संवेदनशील लोग ‘ हम भारत के लोग ‘ के मंच पर एकत्रित हुए। राजधानी के तेलीबांधा चौपाटी में रविवार 23 अगस्त को शाम 4 बजे से 5 बजे एक घंटे तक आकर्षक प्लेकार्ड के साथ  बड़ी तादात में एकत्रित लोगों ने एक स्वर में नागरिक आज़ादी के लिए लड़ रहे प्रसिद्ध वकील व सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के समर्थन में  मौन प्रदर्शन किया।

   सभी ने माना कि न्यायपालिका, जिसे संविधान प्रदत्त इन अधिकारों की रक्षा का दायित्व है,वो भी करोना काल में न केवल अपने कर्तव्यपालन में असमर्थ सिद्ध हो रही है बल्कि प्रशांत भूषण पर जारी सुप्रीम कोर्ट अवमानना के मुकदमे के चलते आम जनता के हृदय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रति आशंका पैदा कर दी है। इसी आशंका कों निर्मूल साबित करने आज राजधानी का नागरिक समाज ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए संघर्षरत प्रशांत भूषण के साथ पूर्ण प्रतिबद्धता और दृढ़ता के साथ खड़ा हुआ।

गौरतलब है कि करोना के इस नाजुक समय को एक तरफ संसद और विधानसभाओं को सुप्तावस्था में रखने के लिये प्रयोग किया जा रहा है, वहीं कार्यपालिका नागरिकों के मूल अधिकारों तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बल पूर्वक दबाने का प्रयास कर रही है। सभी ने समवेत स्वर में आव्हान किया कि हम सब  दबते-कुचलते सहते रहने रहने के लिये नहीं हैं,  हम इस दमन एवं शद्यांट्र के खिलाफ जबरन आँखे मूंदे रहने की बजाय एकजुट होकर दृढ़ता के साथ खड़े हैं।

   हम भारत के लोग के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से गौतम बंद्योपाध्याय, उमा प्रकाश ओझा, डॉ राकेश गुप्ता, जीवेश चौबे, रियाज़ अम्बर, हरजीत जुनेजा, अधीर भगवानानी, अकील अहमद, रिज़वान, अजय सोनी, मोइज कपासी, राजेंद्र जैन , लक्ष्मीकांत अग्रवाल, तजिंदर जग्गी, बी वी रविकुमार, श्रुति ओझा,आद्या तिवारी,नोमान अकरम,सादिक अली,अजीज अहमद मनीष सहित बड़ी संख्या में सामाजिक एवं बौद्धिक संगठनों के जागरूक संवेदनशील नागरिक उपस्थित थे।

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