छत्तीसगढ़ विधान सभा मानसून सत्रः विपक्ष पस्त, सरकार मस्त- जीवेश चौबे

हाल ही में छत्तीसगढ़ विधान सभा का मानसून सत्र समाप्त हुआ। क्योंकि 6 माह में एक सत्र ज़रूरी होता है अतः पहले ही यह कह दिया गया था कि संवैधानिक बाध्यता और औपचारिकताओं के लिए ही यह सत्र आयोजित किया जा रहा है। चार दिन तक चले सत्र में आपात जरूरतों के बहाने अनूपूरक बजट भी पास करवा लिया गया।

15 वर्षों तक सत्ता में काबिज होने के बाद बुरी कदर पराजित होकर बहुत ही सीमित सीटों पर सिमटने के आघात से लगता है भारतीय जनता पार्टी अब तक उबर महीं पाई है । प्रदेश में विपक्ष अब नाम मात्र को ही रह गया सा प्रतीत होने लगा है।

संख्याबल में कम होने पर भी विपक्ष अपने नैतिक बल और आत्मबल से अपनी उपस्थिति दर्शा सकता है मगर प्रदेश में विधान सभा सत्र के दौरान विपक्षी दल भाजपा नैतिक रूप से भी अपनी भूमिका और जिम्मेदारी निभा पाने में में पूरी तरह असफल साबित हुआ। लगातार 15 बरस के मुख्यमंत्री और बरसों मंत्री रहे तथाकथित कद्दावर नेता मुद्दों से दूर अक्सर तो वो विधान सभा से क्विट करते रहे या फिर बाहर से सतही जुमले ही ट्विट करते रहे।

बहुत ही कमजोर और बिखरे विपक्ष ने सिवाय दोषोरोपण और सतही टिप्पणियों के कुछ खास नहीं किया । मामला शराब को लेकर हो या कोरोना संकट में सरकार की भूमिका को लेकर ही हो, विपक्ष किसी भी मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखा पाया। खबरों के अनुसार 500 से ज्यादा प्रश्न रखे गए । सबसे बड़ी बात इस बार छत्तीसगढ़ विधान सभा में प्रश्नोत्तर का रिकॉर्ड भी बना, 1 घंटे में 25 प्रश्नोत्तर हुए । यानि लगभग ढ़ाई मिनट में एक प्रश्न का उत्तर दे दिया गया । इसी से आप विधान सभा में प्रश्नोत्तर काल की गंभीरता और विपक्ष की भूमिका का अंदाजा लगा सकते हैं।

इतना ओपन गेम किसी सरकार को शायद ही मिलता हो । न कोरोना काल पर , न कोरोना से प्रभावित मरीजों के उपचार में निजि अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट पर, न प्रदेश के लोगों के रोजगार धंधे पर, न कोरोना के चलते हुए भ्रष्टाचार और ज्यादितियों पर और न ही असमंजस में भटक रहे छात्रों की समस्याओं पर कोई चर्चा हुई । पूरे प्रदेश में जिसे मौका मिल रहा है वो आपदा को अवसर बनाने में लगा हुआ है मगर विपक्ष इसे मुद्दा बना पाने में पूरी तरह असमर्थ और अक्षम रहा। आज छात्र अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं, नौजवान काम धंधे और रोजगार को लेकर मगर किसी को इस बात की चिंता हो ऐसा दिखाई नहीं दिया। सरकार ने किसानों को लेकर ज़रूर बड़ी घोषणाएं की और निजि स्कूल की फीस को लेकर भी कानून बनाने की बातें हुईं मगर बेरोजगार युवा, छोटे मध्यम व्यवसाइयों व कामगार समुदाय के भविष्य को लेकर कोई बात नहीं हुई।

कोरोना काल में बुरी तरह टूट चुके फुटपाथ पर धंधा करने वालों के साथ साथ छोटे और मध्यम व्यापारियों पर तो किसी का ध्यान ही नहीं जा पाया । कोरोना काल में आर्थिक रूप से इस वर्ग की कमर बुरी तरह टूट चुकी है। अधिकारियों की मनमानी और अंधेरगर्दी के चलते लॉक डाउन की समयावधि और अनियोजित बंद के कारण पूरा व्यापार और व्यापारी वर्ग आर्थिक के साथ साथ मानसिक रूप से भी जबरदस्त रूप से टूट चुका है। सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही और न ही इस वर्ग के लिए कोई आर्थिक पैकेज के बारे में सोच रही है। एक बहुत छोटे से संपन्न वर्ग को साथ लेकर उन्हीं के मुताबिक बाज़ार की चाल और दिशा तय कर दी जा रही है जिससे छोटे और मध्यम व्यापारियों के बहुत बड़े वर्ग के हितों की लगातार अनदेखी की जा रही है ।

आश्चर्य है कि व्यापारियों की पार्टी कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी पूरे सत्र के दौरान इन पीड़ित और परेशान व्यवसाइयों के पक्ष में कोई सवाल नहीं कर सकी। संभवतः अब भाजपा सिर्फ बड़े व्यवसाइयों और कॉर्पोरेट के साथ ही खड़ी होने लगी है इसलिए छोटे लोगों का ध्यान न रहा हो। वैसे भाजपा को अच्छी तरह पता है कि ये छोटे व्यवसाई उन्हें और मोदी को छोड़कर कहीं जा ही नहीं सकते। भक्तों की जमात में बहुत बड़ी तादात तो इन्हीं की ही है।

प्रशासनिक भ्रष्टाचार और ज्यादतियों को लेकर भी कोई विशेष बहस या चर्चा नहीं हो सकी । गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान एक आईएएस बलात्कार के मामले में फरार है तो एक मेडिकल कॉलेज का अधिकारी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट की शरण में है और इसी अधिकारी पर अपने ही बेटे के माध्यम से करोड़ों की खरीदी के आरोप भी लगे हुए हैं, मगर विपक्ष के लिए ये सब मुद्दे भी सत्ता पक्ष से पूछने के लिए कोई महत्व नहीं रखते। बीरगांव, बस्तर, और बिलासपुर में प्रशासनिक ज्यादितियों पर भी कोई सवाल नहीं हुए। सत्तापक्ष के लिए इससे राहत की बात और क्या हो सकती है।

पूरा सत्र औपचारिकताओं में बीत गया । मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों को वेतनवृद्दि और पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाकर और भत्ते डबल कर सबको पहले ही खुश कर दिया। राजधानी और प्रदेश के अन्य शहरों में स्मार्ट सिटी के तहत बेतहाशा मनोरंजन केन्द्र और तफरीह के आरामगाह सजाकर जनता को मुख्य मुद्दों से दूर कर मंत्रमुग्ध कर दिया जा रहा है। इधर फिलहाल तो विपक्ष पस्त है और सरकार मस्त है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *