8 दिसंबर भारत बंदः सभी प्रमुख विपक्षी दल किसानों के समर्थन में

सरकार से कई दौर की बातचीत के विफल होने के बाद किसान संघों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वन किया है । किसानों के  भारत बंद  का कांग्रेस से लेकर वामपंथी दल, तृणमूल, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, टीआरएस, डीएमके और कई दलों ने भी समर्थन किया है।  विदित हो कि नये कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसान क़रीब एक पखवाड़े से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हैं

किसानों को कृषि क़ानूनों को वापस लेने से कुछ भी कम स्वीकार नहीं है। हाँ और ना में जवाब चाहते हैं। इसीलिए भारत बंद के दौरान किसान अपनी ताक़त दिखाना चाहते हैं। थे।कृषि क़ानूनों को वापस लेने के अलावा किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए, पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए। 

इस भारत बंद का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने समर्थन किया। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘कांग्रेस किसानों और उनके संघर्षों के साथ एकजुट है। हम किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के आह्वान का तहे दिल से समर्थन करेंगे। हमारी सभी ज़िला इकाइयों ने पहले से ही किसानों के समर्थन में धरना और प्रदर्शन करने का निर्देश दिया है।’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सहित तमाम वाम दलों और ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक ने एक साझा बयान में कहा है कि वे किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करते हैं। 

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह किसानों के लिए ‘नैतिक समर्थन’ देगी और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में तीन दिनों तक धरना-प्रदर्शन करेगी। पार्टी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि राज्य सरकार कृषि क़ानूनों को तत्काल वापस लेने की भी माँग करेगी।

तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख और विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और ‘जल्दबाजी’ में क़ानून लाने के लिए केंद्र की आलोचना की। तमिलनाडु से अभिनेता-राजनेता कमल हासन ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अपनी मक्कल निधि माईम (एमएनएम) से 10 सदस्यीय टीम को दिल्ली भेजा है।

तेलंगाना के सत्तारूढ़ टीआरएस ने भी बंद का आह्वान किया। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पूरा समर्थन दिया है और किसानों से तीनों क़ानूनों को निरस्त किए जाने तक विरोध-प्रदर्शन जारी रखने का आग्रह किया। 

राजद नेता तेजस्वी यादव ने विरोध प्रदर्शन किया और किसानों को समर्थन देने का वादा किया। उन्होंने कहा है कि किसानों की इस लड़ाई में वह उनके साथ खड़े हैं।

इधर किसानों के लगातार डटे रहने के बीच सरकार अपने स्तर पर किसानों को मनाने की तैयारी कर रही है। पाँच दौर की वार्ता विफल होने के बाद भी सरकार छठे दौर की वार्ता करने जा रही है। ऐसा इसलिए कि सरकार पर चौतरफ़ा दबाव है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबाव पड़ने लगा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसानों का समर्थन कर चुके हैं और भारत की तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद वह अपनी बात पर कायम हैं। ब्रिटेन के भी कुछ सांसदों ने प्रयास शुरू किये हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में किसान आंदोलन ख़बर बन रहा है। 

किसानों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को कई घंटों तक चली बैठक बेनतीजा रही। केंद्र सरकार अब कृषि क़ानूनों में संशोधन के लिए भी तैयार दिख रही है। लेकिन किसानों का साफ़ कहना है कि उन्हें इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। बैठक में किसान संगठनों के नेताओं के अलावा कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश और कृषि महकमे के आला अफ़सर मौजूद रहे। 

किसानों के साथ शनिवार को सरकार की इस बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के मुद्दों पर अपने मंत्रिमंडल से चर्चा की थी। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहे

एजेंसियां

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