किसान आंदोलनः आज उपवास, कल वेबिनार, 27 को ‘मन की बात’ के दौरान थाली बजायेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा ने 23 दिसंबर को मनाए जाने वाले किसान दिवस के मौक़े पर एक बार फिर केंद्र सरकार से नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की और लोगों से आज घरों का चूल्हा न जलाने की भी अपील लोगों से की है। 24 दिसंबर को किसान वेबिनार का आयोजन करेंगे जिसमें सभी 10 हज़ार लोग भाग लेंगे और इसका सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लाइव प्रसारण होगा। केंद्र सरकार क़ानूनों को सही ठहराने में लगी है, इसके विरोध में उन्होंने 15 लाख पर्चे छपवाने का फ़ैसला किया है।  

टिकरी-सिंघु से लेकर ग़ाजीपुर बॉर्डर तक बड़ी संख्या में इकट्ठा हो चुके किसानों का आंदोलन 28वें दिन में प्रवेश कर गया। इन जगहों पर चल रहे धरनों में पंजाब-हरियाणा और बाक़ी राज्यों से आने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली कूच किया है। रेवाड़ी बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी है। 

जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि 24 दिसंबर को किसान वेबिनार का आयोजन करेंगे जिसमें सभी 10 हज़ार लोग भाग लेंगे और इसका सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लाइव प्रसारण होगा। संधू ने कहा कि केंद्र सरकार क़ानूनों को सही ठहराने में लगी है, इसके विरोध में उन्होंने 15 लाख पर्चे छपवाने का फ़ैसला किया है। ये पर्चे पंजाबी और हिंदी में छपवाए जाएंगे। इसके अलावा अंग्रेजी में भी 5 लाख पर्चे छपवाए जाएंगे। इन पर्चों में किसान इन क़ानूनों को लेकर क्या सोचते हैं, इस बारे में बताया जाएगा। 

सरकार की ओर से बातचीत का प्रस्ताव भेजे जाने को लेकर मोर्चा ने कि अगर सरकार क़ानूनों को रद्द करने को अपने एजेंडे में शामिल करे तो वे किसी तरह की बातचीत का विरोध नहीं करेंगे। मोर्चा ने कहा कि अपनी इस मांग से वे किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा में देश भर के 400 से ज़्यादा किसान संगठन शामिल हैं। 

किसान नेता हन्ना मुल्ला ने एएनआई से कहा कि सरकार अपनी बातों को किसानों पर थोप रही है जबकि वे पहले ही कई बार कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग के बारे में उसे बता चुके हैं। 

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने टीओआई से कहा, ‘हमने फ़ैसला किया है कि हम हर बिंदु पर अपना जवाब केंद्र सरकार को भेजेंगे।’ कुछ दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से कहा था कि वे इस क़ानून के हर क्लॉज पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं और उन्होंने बातचीत के लिए मेज पर आने की अपील की थी।

उत्तर प्रदेश के रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर और खीरी से दिल्ली आ रहे किसानों को पुलिस ने मंगलवार रात को मुरादाबाद में रोक लिया। इनके साथ मौजूद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा सहित तमाम किसानों ने इसे लेकर जोरदार विरोध दर्ज कराया। सोशल मीडिया पर इसे सिखों और आम लोगों का काफी समर्थन मिला, तब जाकर रात को पुलिस ने किसानों को दिल्ली जाने दिया। ये सभी किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों सहित बुधवार सुबह ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए। 

किसानों के इस ठंड के मौसम में आंदोलन पर बैठने के वीडियो, फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। ये दुनिया भर के लोगों तक पहुंच रहे हैं और किसान आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में पहुंच रही है। 

मोदी सरकार के आला मंत्रियों और बीजेपी के रणनीतिकारों की चिंता यह भी है कि अगर किसान आंदोलन इसी तरह चलता रहा तो आने वाले कुछ महीनों में कई राज्यों में होने जा रहे चुनावों में पार्टी को ख़ासा नुक़सान हो सकता है। ऐसे में सरकार के सामने इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है कि वह कृषि क़ानूनों को वापस ले ले।

एजेंसियां

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