किसान नेताओं, समर्थकों को NIA का समनः दबाव बनाने और डराने की कोशिश

हाल ही में एनआईए ने लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को समन भेजा है। सिरसा किसान आंदोलन में खासे सक्रिय हैं। विदित हो कि इसके पूर्व किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले  पंजाबी गायकों और किसान नेताओं पर आयकर विभाग (आईटी) की छापेमारी की ख़बरें आई थीं। उस मामले में भी उनकी तरफ़ से दबाव बनाने के लिए कार्रवाई करने का सरकार पर आरोप लगाया गया था।

पंजाब के किसान नेता और किसान आंदोलन के समर्थन करने वाले लोगों को एनआईए द्वारा समन क्या उन्हें डराने के लिए भेजा गया है? हाल तक बीजेपी के सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने तो कम से कम ऐसा ही आरोप लगाया है। 

दरअसल, देश में जारी किसान आंदोलन के बीच ही पंजाब के एक किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा, किसान आंदोलन के समर्थन करने वाले एक अभिनेता दीप सिद्धू सहित 40 लोगों को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानीएनआईए ने समन भेजा है। आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को जाँचने के लिए गठित एनआईए के इस समन में उन्हें रविवार को दिल्ली के एनआईए कार्यालय में पेश होने को कहा गया है। प्रतिबंधित संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस यानी एसएफजे से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए यह समन भेजा गया है। 

एनआईए द्वारा समन भेजे जाने के मामले सामने आने के बाद सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को कहा, ‘किसान नेता और किसान आंदोलन के समर्थकों को पूछताछ के लिए एनआईए और ईडी द्वारा बुलाने के केंद्र के डराने-धमकाने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं। वे देशद्रोही नहीं हैं। 9वीं बार वार्ता विफल होने के बाद यह बिल्कुल साफ़ है कि भारत सरकार केवल किसानों को परेशान करने की कोशिश कर रही है।’

एनआईए ने एसएफ़जे के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर में उस पर और कुछ अन्य खालिस्तान समर्थक संगठनों पर साज़िश रचने का आरोप लगाया है। एफ़आईआर में कहा गया है कि भारत सरकार के ख़िलाफ़ अभियान चलाने के लिए विदेशों से बहुत सारा पैसा इकट्ठा किया जा रहा है और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी सहित कई देशों में भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। 

एफ़आईआर में यह भी कहा गया है इकट्ठा किए गए पैसे को गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के जरिये भारत में बैठे खालिस्तान समर्थकों को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जा रहा है। 

मोदी सरकार पर आरोप लगता रहा है कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों और उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को चुप कराने के लिए देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है।

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